उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से कहा कि राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए सार्वजनिक स्थलों के विरूपण की अनुमति नहीं दी जा सकती। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह पहाड़ियों, पर्वतों, चट्टानों और सार्वजनिक स्थलों जैसे प्राकृतिक संसाधनों के विरूपण को रोकने के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में दो सप्ताह में सूचित करे।
पीठ ने इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही कहा, ‘‘हम राजनीतिक दलों के नारों और विज्ञापनों के साथ सार्वजनिक स्थलों एवं संपत्तियों के विरूपण की अनुमति नहीं देंगे।’’
उच्चतम न्यायालय ने समूचे तमिलनाडु में सड़कों के किनारे डिजिटल बैनर लगाने से राजनीतिक दलों को रोकने की मांग करने वाली परमार्थ संगठन ‘इन डिफेंस ऑफ एनवायरोनमेंट एंड एनीमल्स’ की याचिका पर 11 जनवरी को केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये थे।