Monday, December 23, 2024
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ट्रिपल तलाक कानून: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नाटिस, कहा संसद क्‍यों घोषित नहीं कर सकती अपराध

पिछले महीने संसद द्वारा पारित किए गए ट्रिपल तलाक कानून के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : August 23, 2019 14:56 IST
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Image Source : FILE IMAGE triple talaq

पिछले महीने संसद द्वारा पारित किए गए ट्रिपल तलाक कानून के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। मुस्लिम समुदाय में एक साथ तीन तलाक को दंडात्मक अपराध बनाने वाले कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय विचार करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गया। नए कानून के तहत ऐसा करने वालों को तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है। न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया । याचिकाओं में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 को ‘असंवैधानिक’ करार देने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि इससे संविधान में प्रदत्त् मौलिक अधिकारों का हनन होता है। 

पीठ ने एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद से कहा कि वह ‘इस पर विचार करेंगे।’ खुर्शीद ने पीठ से कहा कि एक साथ तीन तलाक को दंडात्मक अपराध बनाने और करीब तीन साल की सजा होने सहित इसके कई आयाम है इसलिए न्यायालय के लिये इस पर विचार करने की जरूरत है। खुर्शीद ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता तीन तलाक को अपराध बनाए जाने से चिंतित हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय से इसे अमान्य करार दे चुकी है। उन्होंने पीठ से कहा, ‘‘ अगर तीन तलाक जैसी कोई चीज ही नहीं है तो वह किसे अपराध बना रहे हैं।’’ 

दरअसल खुर्शीद ने पांच न्यायाधीशों वाली एक संवैधानिक पीठ के उस फैसले का जिक्र कर रहे थे जिसमें मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक की प्रथा को अमान्य करार दे दिया गया था। इस पर पीठ ने कहा कि अगर मान लिया जाए कि किसी धार्मिक प्रथा को अमान्य करार दे दिया गया और इसे दहेज और बाल विवाह की तरह अपराध भी घोषित किया गया लेकिन इसके बावजूद भी यह जारी है तो इसका क्या हल हो सकता है। हालांकि पीठ 2019 अधिनियम की वैधता पर विचार करने पार जारी हो गया है। पीठ ने तीन साल तक की सजा और इस मामले में अदालत द्वारा पत्नी को सुने जाने के बाद ही पति को जमानत मिलने को भी संज्ञान में लिया है। इस कानून की वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में चार याचिकायें दायर की गयी हैं।

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