मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में आजकल एक प्रोफेसर की वजह से उबाल आया है। मुंबई यूनिवर्सिटी ने एकेडमी ऑफ थिएटर आर्ट्स विभाग के डायरेक्टर योगेश सोमन को राहुल गांधी की आलोचना की वजह से कम्पलसरी लीव यानी जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है। इसके साथ ही उनके खिलाफ जांच भी शुरू कर दी गई है। दरअसल, वीर सावरकर पर दिए गए राहुल गांधी के बयान से नाराज़ योगेश सोमन ने एक फेसबुक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ टिप्पणियां की थीं।
योगेश सोमन ने कहा था कि "आप वास्तव में सावरकर नहीं हो, सच तो यह है कि आप सच्चे गांधी भी नहीं हो, आपके पास कोई वैल्यू नहीं है।" इसके बाद से ही कांग्रेस की स्टूडेंट यूनियन NSUI और वामपंथी छात्र संगठन AISF ने प्रोफेसर के खिलाफ प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिया था। इनका आरोप था कि प्रोफेसर योगेश सोमन RSS के आदमी हैं और राजनीति करते हैं। छात्रों के आंदोलन के बाद यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने प्रोफेसर योगेश सोमन को कम्पलसरी लीव पर भेज दिया।
योगेश सोमन का वीडियो
यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट द्वारा प्रोफेसर योगेश सोमन को कम्पलसरी लीव पर भेजे जाने के साथ ही छात्रों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। लेकिन, राज्य की राजनीति में इसकी चर्चा जारी रही। महाराष्ट्र के फॉर्मर चीफ मिनिस्टर और उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि 'प्रोफेसर का काम पढ़ाना है, ना कि राजनीति करना।' वहीं, एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि 'महाराष्ट्र सरकार से जुड़ा कोई भी कर्मचारी अगर किसी राजनीतिक पार्टी या संगठन के लिए काम करता है तो उसे इसके नतीजे के लिए भी तैयार रहना चाहिए।'
इस मामले में बयान देने वालों की लिस्ट में राज्य के गृह मंत्री भी हैं। महाराष्ट्र के होम मिनिस्टर अनिल देशमुख ने कहा कि 'सरकारी नौकरी करने वाले प्रोफेसर को सियासी बातें करने का हक नहीं है। किसी नेता के खिलाफ अपमानजनक कमेंट करने का हक नहीं है। टिप्पणी करना आपत्तिजनक है।' अनिल देशमुख ने कहा कि 'सरकार को प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत मिली है और इस मामले की जांच की जा रही है।' हालांकि, बीजेपी ने प्रोफेसर योगेश सोमन का बचाव किया है। बीजेपी नेता आशीष शेल्लार ने कहा कि 'RSS से जुड़ा होना कोई अपराध नहीं है। सच तो ये है कि महाराष्ट्र सरकार बदले की भावना से काम कर रही है।'