नई दिल्ली: मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आंदोलन का लंबा चलना किसानों और सरकार, दिनों के ही हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि अच्छा होगा इसका मिल बैठकर तत्काल सुलझाया जाए। यह ऐसा मामला नहीं है, जिसका हल नहीं मिल सकता।
सत्यपाल मलिक ने आंदोलन के दौरान किसानों की मौत पर भी केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा, “कुतिया भी मर जाती है तो उसके लिए भी हमारे नेताओं का शोक संदेश आता है, लेकिन 250 किसान मर गए, लेकिन अब तक कोई भी नहीं बोला। ये मेरी आत्मा को दर्द देता है।”
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राजस्थान के झुंझुनूं में एक निजी कार्यक्रम में पहुंचकर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि 'किसान आंदोलन में कोई समस्या नहीं है। इसको समझने और सुलझाने की जरूरत है। एमएसपी का ही मुद्दा है। अगर इसे कानूनी रूप दे दिया जाए तो मामले का हल हो सकता है।'
सत्यपाल मलिक ने कहा कि यह आंदोलन अब देशभर के किसानों के बीच बड़ा मुद्दा बन चुका है। अब इसे जल्दी सुलझाना चाहिए। मलिक ने कहा, “मैं संवैधानिक पद पर हूं। बिचौलिया बन कर काम नहीं कर सकता। किसान नेताओं और सरकार के नुमाइंदों को सिर्फ सलाह दे सकता हूं, मेरा सिर्फ इतना ही रोल है।”
मलिक ने कहा कि किसानों के सही दाम नहीं मिलने का मुद्दा आज का नहीं, अंग्रेजों के वक्त भी ऐसा ही होता था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान मंत्री रहे छोटूराम और वायसराय का किस्सा साझा करते हुए कहा कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वायसराय ने मंत्री छोटूराम से मुलाकात की और उनसे अनाज की मांग की थी।
मलिक ने बताया कि 'छोटूराम ने तब कहा था कि अनाज किस मूल्य पर देना है, यह मैं तय करूंगा। वायसराय ने जवाब में छोटूराम से कहा कि अनाज तो तुम्हें मेरे मूल्य पर देना ही पड़ेगा, नहीं दोगे तो मैं सेना भेजकर जबरन अनाज ले लूंगा।' उन्होंने बताया कि 'इस पर छोटूराम ने कहा कि मैं किसानों से बोल दूंगा, खड़ी फसल में आग लगा देना लेकिन वायसरा को कम कीमत पर गेहूं कभी मत देना।'