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शारदा ग्रुप के चेयरमैन ने मानी ‘लाल डायरी’ होने की बात, जानें क्या कहा

शारदा समूह अप्रैल 2013 में डूब गया और सुदिप्तो सेन अपने विश्वसनीय सहयोगी देबजानी मुखर्जी के साथ पश्चिम बंगाल छोड़कर फरार हो गया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 05, 2019 14:44 IST
शारदा ग्रुप के चेयरमैन ने मानी ‘लाल डायरी’ होने की बात, जानें क्या कहा- India TV Hindi
शारदा ग्रुप के चेयरमैन ने मानी ‘लाल डायरी’ होने की बात, जानें क्या कहा

नई दिल्ली: सीबीआई से जंग में ममता बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से उस वक्त बड़ा झटका लगा जब कोर्ट ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की पेशी के आदेश दिए। सीबीआई शारदा चिट फंड घोटाले में राजीव कुमार से शिलॉन्ग में पूछताछ करेगी। यानि जिस चहेते अफसर के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री पिछले तीन दिनों से धरने पर बैठी हैं उसे सीबीआई के सवालों का सामना करना ही पड़ेगा। वहीं दूसरी तरफ जिस लाल डायरी पर वबाल मचा है उस पर शारदा ग्रुप के चेयरमैन, सुदीप्तो सेन का बयान सामने आया है। सेन ने लाल डायरी के अस्तित्व के बारे में स्वीकार करते हुए कहा कि इसमें शारदा समूह की संपत्ति और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में सभी विवरण थे लेकिन अब यह कहां है किसी को नहीं पता।

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दरअसल चिटफंड घोटाले पर ममता सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाया था जिसके प्रमुख राजीव कुमार थे। सुदीप्त सेन और उनकी सहयोगी देवजानी मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया था। फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। सीबीआई पूछताछ में देवजानी ने बताया था कि एसआईटी ने उनके पास से एक लाल डायरी, पेन ड्राइव समेत कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए थे, तब से ही सीबीआई उक्त पेन ड्राइव और डायरी को तलाश कर रही है।

क्या है पूरा मामला?

इसकी कहानी शारदा समूह और रोज वैली समूह से जुड़ी हुई है। इसका पता 2013 में चला था। दरअसल, इन दोनों कंपनियों ने लाखों निवेशकों से दशकों तक हजारों करोड़ रुपये वसूले और बदले में उन्हें बड़ी रकम की वापसी का वादा किया गया लेकिन, जब धन लौटाने की बारी आई तो भुगतान में खामियां होने लगीं जिसका असर राजनीतिक गलियारे तक देखने को मिला। धन जमा करने वाली योजनाएं कथित तौर पर बिना किसी नियामक से मंजूरी के साल 2000 से पश्चिम बंगाल और अन्य पड़ोसी राज्यों में चल रही थी। 

लोगों के बीच यह योजना ‘चिटफंड’ के नाम से मशहूर थी। इस योजना के जरिए लाखों निवेशकों से हजारों करोड़ रुपये जमा किए गए। इन दोनों समूहों ने इस धन का निवेश यात्रा एवं पर्यटन, रियल एस्टेट, हाउसिंग, रिजॉर्ट और होटल, मनोरंजन और मीडिया क्षेत्र में व्यापक तौर पर किया था। शारदा समूह 239 निजी कंपनियों का एक संघ था और ऐसा कहा जा रहा है कि अप्रैल, 2013 में डूबने से पहले इसने 17 लाख जमाकर्ताओं से 4,000 करोड़ रुपये जमा किए थे। 

वहीं, रोज वैली के बारे में कहा जाता है कि इसने 15,000 करोड़ रुपये जमा किए थे। शारदा समूह से जुड़े सुदिप्तो सेन और रोज वैली से जुड़े गौतम कुंडु पर आरोप है कि वे पहले पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार के करीब थे लेकिन, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे राज्य में तृणमूल कांग्रेस की जमीन मजबूत हो गई, ये दोनों समूह इस पार्टी के नजदीक आ गए।

शारदा समूह अप्रैल 2013 में डूब गया और सुदिप्तो सेन अपने विश्वसनीय सहयोगी देबजानी मुखर्जी के साथ पश्चिम बंगाल छोड़कर फरार हो गया। इसके बाद सारदा समूह के हजारों कलेक्शन एजेंट तृणमूल कांग्रेस के कार्यालय के बाहर जमा हुए और सेन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। सारदा समूह के खिलाफ पहले मामला विधान नगर पुलिस आयुक्तालय में दायर किया गया, जिसका नेतृत्व राजीव कुमार कर रहे थे।

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