नई दिल्ली: अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का मुद्दा एक बार फिर राजनीति के केंद्र में है। अयोध्या आंदोलन से जुड़े संतों की उच्चाधिकार समिति की आज दिल्ली में अहम बैठक हो रही है। इस बैठक में राम मंदिर को लेकर संत समाज बड़ा फैसला कर सकते हैं। संतों की बैठक की पूरी रूपरेखा विश्व हिंदू परिषद ने बनाई है। वीएचपी ने कहा है कि संत जो भी फैसला करेंगे वो उसके पीछे चलेगी। इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा, ‘’उनको (मोदी) सद्बुद्धि दे भगवान, एक तरफ मोदी, एक तरफ योगी, अब नहीं बनेगा तो कब बनेगा। राम ईच्छा कि राम मंदिर बने।‘’
वीएचपी के कार्याध्यक्ष अलोक कुमार ने बताया कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि राम मंदिर का निर्माण होगा। राम मंदिर बनेगा। अब इसका रास्ता क्या होगा, इस पर पांच अक्टूबर को संतों की उच्चाधिकार समिति विचार करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत इस मामले में सुनवाई करके फैसला सुनायेगी, कानून के माध्यम से इस पर आगे बढ़ा जा सकता है। इन मुद्दों पर संतों की समिति विचार करेगी। हालांकि कुमार ने कहा कि इस बैठक में संतों के समक्ष सभी विषयों पर चर्चा की होगी। हम संतों से आगे का मार्ग पूछेंगे और जैसा वे बतायेंगे, वैसा करने के लिये हम प्रतिबद्ध हैं।
वीएचपी कार्याध्यक्ष ने कहा कि संसद में कानून बनाकर भी आगे बढ़ा जा सकता है और इस बारे में सरकार को तय करना है। उन्होंने कहा कि 'कानूनी बाधाएं दूर करके राम मंदिर के निर्माण का रास्ता प्रशस्त हो, ऐसा संतों से मार्गदर्शन लेकर काम करेंगे। यह बैठक श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास की अध्यक्षता में होगी।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द फैसला देगा क्योंकि हम कयामत तक तो इंतजार नहीं कर सकते, और भी रास्ते तलाशेंगे। करीब एक हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई में मस्जिद में नमाज इस्लाम में अनिवार्य नहीं बताने वाले अपने पहले के फैसले को बरकरार रखा। साथ ही कहा कि रामजन्मभूमि के मुकदमे में 29 अक्टूबर से सुनवाई होगी।
इस फैसले के बाद राममंदिर को लेकर राजनीतिक हलकों में सक्रियता और बयानबाजी बढ़ गई है। कुछ दिन पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा था कि संघ प्रमुख के नाते में चाहता हूं कि अयोध्या में भव्य राममंदिर जल्द से जल्द बने, ऑर्डिनेंस लाना है या नहीं ये सरकार को देखना है।