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समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में स्वामी असीमानंद समेत चार आरोपी बरी

समझौता ब्लास्ट केस में स्वामी असीमानंद समेत चार आरोपियों को पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : March 20, 2019 23:30 IST
Swami Aseemanand
Image Source : PTI Swami Aseemanand

नई दिल्ली: समझौता ब्लास्ट केस में स्वामी असीमानंद समेत चार आरोपियों को पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया है। स्वामी असीमानंद के साथ जिन आरोपियों को बरी किया गया है उनके नाम हैं: लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी। आपको बता दें कि 18 फरवरी 2007 की रात में दिल्ली से पाकिस्तान जा रही समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट हुआ हुआ था जिसमें 68 लोगों की मौत हो गई थी।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के वकील राजन मल्होत्रा ने बताया, ‘‘अदालत ने सभी चारों आरोपियों नब कुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिन्दर चौधरी को बरी कर दिया।’’ भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन में हरियाणा में पानीपत के निकट 18 फरवरी,2007 को उस समय विस्फोट हुआ था, जब ट्रेन अमृतसर स्थित अटारी की ओर जा रही थी। फैसला सुनाने से पहले एनआईए के विशेष न्यायाधीश जगदीप सिंह ने पाकिस्तानी महिला की एक याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि इस याचिका में कोई विचारणीय मुद्दे नहीं है। अपनी याचिका में महिला ने पाकिस्तान के कुछ गवाहों से पूछताछ की मांग की थी। 

विस्फोट के बाद हरियाणा पुलिस ने एक मामला दर्ज किया था, लेकिन जुलाई, 2010 में जांच एनआईए को सौंप दी गई थी। एनआईए ने जुलाई 2011 में आतंकवादी हमले में कथित भूमिका के लिए आठ लोगों के खिलाफ एक आरोप पत्र दायर किया था। आठ लोगों में से स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिन्दर चौधरी अदालत के समक्ष पेश हुए और उन्होंने सुनवाई का सामना किया। इस हमले के कथित षडयंत्रकर्ता सुनील जोशी की दिसम्बर 2007 में मध्य प्रदेश के देवास जिले में उसके घर के निकट गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तीन अन्य आरोपियों रामचन्द्र कलसांगरा, संदीप डांगे और अमित को गिरफ्तार नहीं किया जा सका था और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। असीमानंद जमानत पर हैं जबकि तीन अन्य न्यायिक हिरासत में है। 

असीमानंद के वकील मुकेश गर्ग ने कहा, ‘‘अदालत ने कहा है कि एनआईए आरोपियों के खिलाफ अपने आरोपों को साबित करने में विफल रही है और उनके खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं थे और इसलिए उन्हें बरी कर दिया गया।’’ मामले में 299 गवाह थे और उनमें से 224 गवाहों से पूछताछ की गई। गर्ग ने कहा, ‘‘किसी भी गवाह ने आरोपियों की पहचान नहीं की।’’

पाकिस्तानी महिला राहिला वकील के वकील मोमिन मलिक ने कहा कि वह उम्मीद कर रहे थे कि अदालत अगली तिथि तक इस मामले को स्थगित कर देगी भले ही उनके मुवक्किल की याचिका खारिज हो गई हो। एनआईए ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि हिन्दू मंदिरों अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू) और संकटमोचन मंदिर (वाराणसी) पर हुए आतंकवादी हमलों से आरोपी खफा थे। (इनपुट-भाषा)

 

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