जयपुर। जयपुर के सांभर लेक मे हजारों प्रवासी पक्षियों की मौत की वजह गहलोत सरकार की लापरवाही मानी जा रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इस तरफ इशारा कर रही है INDIA TV के पास मौजूद बरेली स्थित भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान की रिपोर्ट। दरअसल सांभर लेक में पक्षियों की मौत के मामले मे प्रशासन के जागने के दो दिन बाद यानी 16 नवंबर व 20 नवंबर को 4 -4 पक्षियों का पोस्टमार्टम किया गया, ये रिपोर्ट मे बीकानेर से मंगवाई गयी और उस रिपोर्ट मे एवियन बोट्यूलिज्म बैक्टेरिया का नाम सामने आया।
हैरानी की बात ये है कि जिन पक्षियों के शव का पोस्टमार्टम कराया गया वो शव 10 से 15 दिन पुराने थे। इतने दिन पुराने शवों मे ये बैक्टेरिया बड़ी मात्रा मे जन्म ले चुके थे जिसकी वजह से ये पूरी झील मे फैल गए, लिहाजा कीड़ों को खाने वाले पक्षियों की मौत होती गयी। अगर वक्त रहते इन शवों का निस्तारण किया जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
क्या है ये एवियन बोट्यूलिज्म बैक्टेरिया और कितना खतरनाक है?
एवियन बोट्यूलिज्म बैक्टेरिया बना है क्लोस्ट्रिडियम बाटोलिनम से जो छिछले पानी के जमीन में मौजूद रहते हैं। ये बैक्टेरिया एक तरह का जहर बनाता है, सड़े-गले मांस वाली जगह पर ये बैक्टेरिया तेजी से पनपता है। ये बैक्टेरिया बेहद खतरनाक है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये एक ऐसा बैक्टेरिया है जो इंसानी शरीर मे पहुंचते ही तेजी असर दिखाता है और इसका कोई इलाज नहीं है।
सांभर लेक या डिजास्टर टूरिज्म स्पॉट?
जयपुर के सांभर लेक की पहचान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर टूरिस्ट सपॉट के तौर पर हैं। हजारों विदेशी सैलानी बर्ड लवर्स प्रवासी पक्षियों की एक झलक अपने कैमरे में कैद करने के लिए यहां आते है। नमक की झील में हजारों कपल प्री-वेडिंग शूट तक करवाने के लिए आते है और उनसे 7000 रुपये तक लिये जाते हैं। लोगों का आना-जाना लगभग उस जगह लगा हुआ है लेकिन शायद अभी भी प्रशासन की तरफ से जागरूकता नही हैं।
क्या मानना है वाइल्ड लाईफ एक्सपर्ट्स का?
वाइल्ड लाईफ एक्सपर्टस का मानना है कि इस बैक्टेरिया की पहचान तो हो गयी है लेकिन शायद सरकार इसको लेकर अभी सतर्क नहीं हो पायी है। इस बैक्टेरिया के जन्म और खात्मा कई हद तक मौसम ही जिम्मेदार है। एक्सपर्ट्स की राय है कि प्रशासन को चाहिए कि जिस जगह पर इस बैक्टेरिया को पहचाना गया है यानी सांभर लेक उस जगह पर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।
झील मे जाने से या उसमें गाडी चलाने से या चहल कदमी करने से उस जगह से बैक्टेरिया और जगह फैल रहा है। कोई भी व्यक्ति जो चोटिल है यानी उसको किसी तरफ का घाव, फोड़ा या फुंसी है, अगर वो इस झील में जाता है या झील का पानी उसके शरीर मे पहुंचता है तो वो बैक्टेरिया की चपेट मे आ जायेगा लिहाजा प्रशासन किसी को भी उस जगह जाने की अनुमति न दे।