Tuesday, November 19, 2024
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सलमान खुर्शीद ने 'ISIS' और 'बोको हराम' से की 'हिंदुत्व' की तुलना, दिग्विजय सिंह बोले- 'इसका हिंदू धर्म से लेना-देना नहीं'

अपनी किताब में सलमान खुर्शीद ने कहा है कि 'हिंदुत्व का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए होता है, तभी चुनाव प्रचार के दौरान इसका ज्यादा जिक्र किया जाता है।'

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 10, 2021 23:46 IST
सलमान खुर्शीद ने 'ISIS' और 'बोको हराम' से की 'हिंदुत्व' की तुलना, दिग्विजय सिंह बोले- 'इसका हिंदू धर- India TV Hindi
Image Source : PTI सलमान खुर्शीद ने 'ISIS' और 'बोको हराम' से की 'हिंदुत्व' की तुलना, दिग्विजय सिंह बोले- 'इसका हिंदू धर्म से लेना-देना नहीं'

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की नई किताब 'Sunrize Over Ayodhya: Nationhood in Our Times' बुधवार को लॉन्च हुई और लॉन्च होते ही किताब विवादों में आ गई। दरअसल, सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हराम से की है। 

किताब में सलमान खुर्शीद ने कहा है कि 'हिंदुत्व का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए होता है, चुनाव प्रचार के दौरान इसका ज्यादा जिक्र किया जाता है।' किताब में उन्होंने कहा कि 'सनातन धर्म या क्लासिकल हिंदुइज्म को किनारे करके हिंदुत्व को आगे बढ़ाया जा रहा है।' यह बात किताब के 113 नंबर पेज कही गई है।

वहीं, किताब के लॉन्चिंग ईवेंट में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी थे। उन्होंने हिंदू धर्म और सनातन धर्म पर कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जब 500 साल के मुगल और 150 साल के ईसाई शासन में हिंदू धर्म का कुछ नहीं बिगड़ा तो क्या खतरा है।

दिग्विजय सिंह ने कहा, "आज कहा जाता है कि हिंदू धर्म खतरे में हैं। 500 साल के मुगल और मुसलमानों के शासन में हिंदू धर्म का कुछ नहीं बिगड़ा। ईसाइयों के 150 साल के राज में कुछ नहीं बिगड़ा, तो अब हिंदू धर्म को खतरा किस बात का है।"

दिग्विजय सिंह ने कहा, "खतरा केवल उस मानसिकता और कुंठित सोची समझी विचारधारा को है, जो देश में ब्रिटिश हुकूमत की 'फूट डालो और राज करो' की विचारधारा थी, उसको प्रतिवादित कर अपने आप को कुर्सी पर बैठाने का जो संकल्प है, खतरा केवल उन्हें है। समाज और हिंदू धर्म को खतरा नहीं है।"

उन्होंने कहा, "हिंदुत्व का हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। सावरकर जी धार्मिक नहीं थे। उन्होंने कहा था कि गाय को 'माता' क्यों माना जाता है और उन्हें गोमांस खाने में कोई समस्या नहीं है। हिंदू पहचान को स्थापित करने के लिए वह 'हिंदुत्व' शब्द लाए, जिसके कारण लोगों में भ्रम पैदा हो।"

वहीं, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं कि जब ‘लिंचिंग’ की प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की तरफ से निंदा नहीं की जाती है। एक विज्ञापन को वापस लिया जाता है क्योंकि हिंदू बहू को एक मुस्लिम परिवार में खुशी से रहता हुआ दिखाया गया।’’ 

अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर कहा, ‘‘इस फैसले का कानूनी आधार बहुत संकीर्ण है। बहुत पतली सी रेखा है। लेकिन समय बीतने के साथ ही, दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया। दोनों पक्षों ने स्वीकार किया, इसलिए यह सही फैसला है। ऐसा नहीं है कि यह सही फैसला था, इसलिए दोनों पक्षों ने स्वीकार किया।’’ 

उन्होंने कहा कि छह दिसंबर, 1992 को जो हुआ, वह बहुत ही गलत था, इसने हमारे संविधान को कलंकित किया, उच्चतम न्यायालय की अवमानना की और दो समुदायों के बीच दूरी पैदा की। चिदंबरम ने कहा, ‘‘फैसले के बाद चीजें उसी तरह हुईं जिसका अनुमान था। इसके बाद (बाबरी विध्वंस के) आरोपियों को छोड़ दिया गया। ‘नो वन किल्ड जेसिका’ की तरह ‘नो बडी डिमोलिश्ड बाबरी मस्जिद’।"

उन्होंने दावा किया, ‘‘आज की यही हकीकत है कि हम भले ही धर्मनिरपेक्ष हैं, लेकिन व्यवहारिकता को स्वीकार करते हैं। देश में रोजाना धर्मनिरपेक्षता पर चोट की जा रही है।’’

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