नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय उप राज्यपाल की अनुमति के बिना अन्य राज्यों से प्रति नियुक्ति पर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में शामिल होने वाले अधिकारियों का वेतन रोक सकता है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एसीबी में अन्य राज्यों से अधिकारियों की प्रति नियुक्ति ‘अवैध’ है अगर इसके लिए उपयुक्त प्राधिकार उप राज्यपाल से औपचारिक मंजूरी नहीं ली गयी है।
अधिकारी ने बताया कि यदि सेवा नियमों का अनुसरण नहीं किया गया है तो केंद्र सरकार संबंधित अधिकारियों के वेतन को रोकने को मजबूर होगी। अधिकारी ने बताया, ‘दिल्ली सरकार में सभी नियुक्तियां नियमों के अनुसार होनी चाहिए।’
आपको बता दें कि दिल्ली के कर्मचारियों का वेतन केंद्रीय गृह मंत्रालय से होकर आता है।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि डीएसपी रैंक के एक अधिकारी ने दिल्ली एसीबी में अपनी नयी जिम्मेदारी को संभालने से इंकार कर दिया है। इस अधिकारी समेत चार अधिकारियों के नामों को बिहार सरकार ने दिल्ली एसीबी में शामिल होने के लिए मंजूरी दी थी।
सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस से भी अधिकारियों के लिए अपील की गयी थी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने स्टाफ की कमी का जिक्र करते हुए किसी अधिकारी को दिल्ली एसीबी में शामिल होने के लिए मुक्त नहीं किया।
बाहर से अफसर बुलाने औऱ एसीबी में नियुक्त करने के फैसले पर दिल्ली के एलजी नजीब जंग ने ही सवाल उठा दिए हैं। खुद को एसीबी का बॉस बताकर एलजी नजीब जंग ने कहा है कि उनसे पूछे बिना अफसर लाए जा रहे हैं। जिसका अधिकार दिल्ली के सीएम को नहीं है। हालांकि दिल्ली के सीएम केजरीवाल गैर बीजेपी राज्यों से अफसरों को लाने की मुहिम में जुटे हुए हैं।
गृह मंत्रालय पहले ही यह साफ कर चुका है कि उसकी मंजूरी के बिना कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती। दिल्ली में आप सरकार और उप राज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर संघर्ष चल रहा है।