Friday, November 22, 2024
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संतों ने राम मंदिर के मुद्दे पर दी डेडलाइन, कहा-संसद में शीतकालीन सत्र के दौरान प्रस्ताव लाए सरकार

विश्व हिंदू परिषद (VHP) की उच्चस्तरीय समिति की बैठक के बाद शुक्रवार को संतों ने सरकार के सामने मांग रखी है कि वह राम मंदिर के लिए शीतकालीन सत्र में संसद में कानून लेकर आए।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 05, 2018 23:37 IST
Ram Vilas Vedanti, Ram Janmbhoomi, Ram mandir- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Senior member of Ram Janmbhoomi Nyas and former Member of Parliament Ram Vilas Vedanti. (IndiaTV)

नई दिल्ली। साधु संतों ने राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को डेडलाइन दे दी है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) की उच्चस्तरीय समिति की बैठक के बाद शुक्रवार को संतों ने सरकार के सामने मांग रखी है कि वह राम मंदिर के लिए शीतकालीन सत्र में संसद में कानून लेकर आए। दिल्ली में हुई बैठक के बाद संतों ने कहा कि सरकार कानून लेकर नहीं आती है तो 31 जनवरी और पहली फरवरी को धर्मसंसद बैठेगी जो इस मुद्दे पर अपनी आगे की रणनीति तय करेगी। संतों ने बैठक के बाद इस संबंध में एक मेमोरेंडम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपा। 

इस मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर प्रधानमंत्री लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र बुलाकर कानून बनाएं, वीएचपी ने कहा है राम मंदिर का मामला कोर्ट में होना कानून बनाने की राह में कोई बाधा नहीं है। बीएचपी ने कहा है कि 2018 का सूर्य अस्त होने से पहले राम मंदिर को लेकर सारी स्थिति साफ होनी चाहिए।

रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने इंडिया टीवी से कहा कि सरकार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए कानून पास करना चाहिए। वेदांती ने कहा कि इस संबंध में सरकार को उसी तरह से फैसला लेना चाहिए जैसा उसने एससी/एसटी एक्ट में लिया था। 

दिल्ली में शुक्रवार को राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास महाराज की अध्यक्षता में हुई संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में संतों ने एक स्वर से मोदी सरकार से कहा कि वह जन्म भूमि पर अपने वचनानुसार संसदीय कानून बना कर राम मंदिर के मार्ग की बाधाओं को दूर करे। 

स्वामी वासुदेवानंद व विश्वेशतीर्थ महाराज ने तो स्पष्ट कहा कि प्रधानमंत्री आवश्यकता पड़ने पर लोक सभा व राज्य सभा का संयुक्त अधिवेशन बुलाकर कानून बनाएं और जन्म भूमि हिन्दुओं के हवाले करें। इस बैठक में रामानान्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि जो इस बिल का विरोध करेगा, देश के संत उसे उखाड़ फेकेंगे। 

परमानंद महाराज ने भी इस मत का समर्थन करते हुए कहा कि बिल आने पर ही मालूम चलेगा कि असली राम भक्त कौन है। डा राम विलास वेदांती, चिदानंद पुरी (केरल), स्वामी चिन्मयानंद जी व स्वामी अखिलेश्वरानन्द जी सहित सम्पूर्ण देश से आए जगत गुरुओं महा-मंडलेश्वरों व अन्य धर्माचार्यो ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए कानून बनाने की मांग का पुरुजोर समर्थन किया। 

बैठक में संतों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें मंदिर निर्माण के लिए कानून की मांग के अतिरिक्त एक जन जागरण अभियान की भी घोषणा की। इस अभियान में निम्नलिखित कार्यक्रम रहेंगे : अक्टूबर माह में स्थानीय राम भक्तों का प्रतिनिधि मंडल सभी राज्यों के राज्यपालों से मिल कर ज्ञापन देकर अनुरोध करेगा कि वे राम जन्म भूमि पर मंदिर के लिए संसदीय कानून बनाने की उनकी मांग को केंद्र सरकार तक पहुंचाएं। 

पारित प्रस्ताव के मुताबिक नवम्बर माह में सभी संसदीय क्षेत्रों में जनसभाएं होंगीं। वहां की जनता एक बड़े और व्यापक प्रतिनिधि मंडल के साथ संतों के नेतृत्व में अपने सांसदों से मिलेगी और उन्हें संसद में कानून बनाकर राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह करेगा।

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