नई दिल्ली: महाशिवरात्रि के अवसर पर सदगुरु जग्गी वासुदेव ने दावा किया है कि एक खास तरीके से शिव की भक्ति से आपका भी त्रिनेत्र खुलेगा और आपको मिलेगा महाशक्ति का वरदान लेकिन सदगुरु के इस दावे में कितना दम है, शिवभक्ति में अद्भुत शक्ति का क्या है 'सच' ? आखिर क्यों पूरी रात हजारों भक्तों ने की शिव की अराधना? जग्गी वासुदेव के साथ महाशिवरात्रि में भगवान शिव की भक्ति का ऐसा माहौल बनता है जहां सब शिव की भक्ति में झूम उठते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर इसी शिवभक्ति के बीच सदगुरू जग्गी वासुदेव कुछ दावे किये। दावा ये कि शिवरात्रि को शिव की साधना करने से अलौकिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है और इस ऊर्जा की प्राप्ति से मनुष्य अपने सभी कष्टों से मुक्ति पा सकता है। इस ऊर्जा से मनुष्य शिवमय हो जाता है। शिवरात्रि का मतलब महीने का चौदहवां दिन होता है। यानी अमावस्या से ठीक एक दिन पहले यानी वो रात जब आसमान में चांद नहीं होता है। यह रात महीने की सबसे अंधेरी रात होती है और इसी अंधेरे में होती है शिव की साधना।
वैसे तो साल के बारहों महीने में शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को होने वाली शिवरात्रि खास होती है इसीलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस महाशिवरात्रि से पहले एक आवाज गूंज रही है और एक वीडियो वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि ये आवाज सदगुरु जग्गी वासुदेव की है जिसमें सदगुरु महाशिवरात्रि को लेकर दावे कर रहे हैं।
वीडियो में सदगुरू दावा करते सुने जा सकते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में एक ऊर्जा का संचार होता है। धरती पर सभी मनुष्य और जीव अपने शरीर के अंदर ऊपर की तरफ चढ़ते एक ऊर्जा का अनुभव करता है। आप इस ऊर्जा का लाभ तभी ले सकते हैं जब आप पूरी रात अपने स्पाइन यानी मेरुदंड को सीधा रखें। इंसान के दिमाग का सचमुच का विकास तभी पूरा हुआ जब उनका मेरुदंड सीधा हो गया। महाशिवरात्रि के दिन जब एक प्राकृतिक ऊर्जा का संचार होता है, तब मेरुदंड को सीधा रखने पर काफी फायदा होता है। तो यही एक दिन है, जो आपको एक ऐसे सफर पर ले जाएगा जहां आपकी तीसरी आंख खुल सकती है और आपको अपने बारे में दिव्य ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
जग्गी वासुदेव के मुताबिक उत्तरायण के समय जब धरती के उत्तरी गोलार्ध में सूरज की गति उत्तर की ओर होती है, तो मानव शरीर में ऊर्जाओं में कुदरती तौर पर एक प्राकृतिक उछाल आता है। इस रात को महाशिवरात्रि कहा जाता है। योग विज्ञान के अनुसार शून्य डिग्री अक्षांश से यानी विषुवतरेखा से तैंतीस डिग्री अक्षांश तक, शरीर के स्पाइन यानी मेरुदंड को सीधा रखते हुए जो भी साधना की जाती है, वो सबसे ज्यादा असरदार होती है उससे मनुष्य सारे दुखों से मुक्त हो जाता है और शिवमय हो जाता है।
उनके अनुसार यही एक दिन है, जो आपको एक ऐसे सफर पर ले जाएगा जहां आपकी तीसरी आंख खुल सकती है और आपको अपने बारे में दिव्य ज्ञान प्राप्त हो सकता है। लेकिन सवाल ये है कि तीसरी आंख तो सिर्फ भगवान शिव के पास होता है। तभी तो उन्हें त्रिनेत्र कहते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान शिव जब भी अपनी तीसरी आंख खोलते हैं तो तांडव होता है और तबाही होती है।
मनुष्य के शरीर पर तो तीसरी आंख होती ही नहीं है तो फिर जग्गी वासुदेव के वायरल वीडियो में कैसे दावा किया जा रहा है कि महाशिवरात्रि पर शिव की साधना से मनुष्य की तीसरी आंख खुल सकती है जिससे मनुष्य अपने बारे में दिव्य ज्ञान की प्राप्ति कर सकता है। तो इसका जवाब है....हम मनुष्यों के पास भी तीसरी आंख होती है। ये तीसरी आंख तब काम करती है जब हमारा मन शांत हो, चित्त स्थिर हो और ये समय होता है ध्यान का।
मनुष्य की तीसरी आंख है उसका विवेक। सबसे मुश्किल सवाल का उत्तर और सबसे अच्छा विचार उसके विवेक से ही निकलता है और ये सब होता है शिव की साधना से, शिव की भक्ति से इसलिए जग्गी वासुदेव कहते हैं हमें अपने भीतर से गलत विचारों को निकाल देना चाहिए और शिव के ध्यान में लग जाना चाहिए क्योंकि ध्यान और चिंतन से मनुष्य में नई सोच पैदा होती है और जो नई सोच रखता है उसी की तीसरी आंख खुलती है, वही कामयाब होता है।
महाशिवरात्रि के मौके पर जग्गी वासुदेव ने शिव साधना का ये कार्यक्रम कोयंबटूर में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा के सामने आयोजित किया। सदगुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन ने पिछले साल ही 112 फीट ऊंची आदियोगी के रूप में भगवान शिव की इस प्रतिमा को बनवाया है जिसका अनावरण खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। कोयंबटूर में महाशिवरात्रि के मौके पर आदियोगी शिव की इसी विशाल प्रतिमा के आगे बीती रात जग्गी वासुदेव के आगे हजारों शिव भक्तों ने शिव साधना की। शिव साधना करने वालों में आम और खास भक्तों के साथ सात समंदर पार से भी बड़ी संख्या में शिव भक्त पहुंचे थे। सबकी यही उम्मीद है महाशिवरात्रि पर पूरी रात शिव साधना कर उनका भी त्रिनेत्र खुलेगा और उन्हें भी दिव्य ज्ञान प्राप्त होगा।