चंडीगढ़: दुष्कर्म के आरोपी पंजाब के पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह ने सोमवार को नाटकीय ढंग से जिला एवं सत्र न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता लंगाह के खिलाफ पंजाब पुलिस की महिला हवलदार की शिकायत पर शुक्रवार को गुरदासपुर में मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद लंगाह ने गुरदासपुर के बजाय चंडीगढ़ की अदालत में आत्मसमर्पण किया।
पीड़िता का कहना है कि लंगाह जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ वर्ष 2009 से ही दुष्कर्म करता रहा। पीड़ित महिला विधवा है और कॉलेज में लंगाह की बेटी की सहपाठी है।
लंगाह जब आत्मसमर्पण के लिए अदालत परिसर पहुंचे, तो उनके साथ उनके वकील और कुछ सहयोगी भी थे। गांधी जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय अवकाश होने के कारण सोमवार को अदालत परिसर बंद था, इसलिए उन्होंने ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
लंगाह शुक्रवार से अंडरग्राउंड थे और वह अपने वादे के अनुसार गुरदासपुर और पठानकोट में आत्मसमर्पण नहीं कर सके। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए पंजाब में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की थी। पूर्व मंत्री को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 384 (उगाही), 420 (धोखाधड़ी) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत गुरदासपुर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया।
लंगाह शिअद कोर समिति के सदस्य और पार्टी की गुरदासपुर जिला इकाई के अध्यक्ष थे। उन्होंने शुक्रवार को पार्टी के सभी पदों से और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की सदस्यता से इस्तीफे का ऐलान किया था। उन्होंने शुक्रवार को कहा, "मेरा न्यायपालिका में पूर्ण विश्वास है। इसलिए मैं कल (शनिवार) अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करूंगा। मेरा दृढ़ विश्वास है कि सच्चाई सामने आएगी और मुझे इंसाफ मिलेगा।"
एसएडी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि लंगाह ने आत्मसमर्पण करने के लिए इस्तीफा दे दिया है। लंगाह ने 11 अक्टूबर को गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव से पहले इस मामले को राजनीति भावना से प्रेरित बताया।
शिअद और गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व ने इस मामले में लंगाह का बचाव करते हुए कहा कि पंजाब में उपचुनाव से पहले इस मामले को कांग्रेस ने हवा दी है। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने दुष्कर्म मामले में प्रतिशोध की राजनीति के आरोपों को खारिज किया है।