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सचिन पायलट मामला: सुप्रीम कोर्ट में जज के सवालों का सिब्बल ने कुछ यूं दिया जवाब

विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पेश हुए हैं जबकि सचिन पायलट की तरफ से इस मामले में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : July 23, 2020 13:31 IST
Supreme Court
Image Source : FILE Supreme Court

राजस्थान में जारी सियासी संकट अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पेश हुए हैं जबकि सचिन पायलट की तरफ से इस मामले में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए हैं। 

उच्च न्यायालय के उस फैसले, जिसमें न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष को कांग्रेस पार्टी के बागी विधायकों के खिलाफ 24 जुलाई तक कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा है। सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी। सुनवाई के दौरान एक अहम टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता नहीं तो लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं होगा। 

जानिए क्या हुआ कोर्ट में

आज कोर्ट में स्पीकर के पक्ष में जिरह करते हुए कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा है कि यह उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है कि वह स्पीकर कहे कि विधायकों के निलंबन की प्रक्रिया के समय को टाल दें।  कपिल सिब्बल ने कहा कि शुरुआती स्टेज पर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती बल्कि चुनौती तभी संभव है जब अंतिम फैसला आ चुका हो। कपिल सिब्बल ने कहा कि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने अभी जो निर्णय लिया है उस पर कोर्ट कोई फैसला फिलहाल नहीं दे सकता। 

सुनवाई के दौरान जब जज ने पूछा कि किस आधार पर विधायको को निलंबित करने की मांग की जा रही है तो इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि विधायक बैठकों में भाग नहीं ले रहे हैं बल्कि वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं और मुख्यमंत्री से फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि विधायक इस बारे में याचिका दखिल नहीं कर सकते कि स्पीकर ने उनको नोटिस भेजा है।

कपिल सिब्बल ने कहा कि विधायक अपनी ही पार्टी की बनी हुई सरकार को गिराने की भी कोशिश कर रहे हैं। इसका मतलब यही है कि वे अपनी मर्ज़ी से पार्टी की सदस्यता छोड़ना चाहते हैं। 

जब जज ने पूछा कि क्या विधायकों को पार्टी से निकाला गया है, इसपर कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं पार्टी की तरफ से नहीं बल्कि स्पीकर की तरफ से पेश हुआ हूं। 

इस पर जज ने कहा कि असहमति की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता, नहीं तो लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं। उन्हें भी लोगों द्वारा ही चुना गया है। क्या वे अपनी असहमति नहीं जता सकते?

सुनवाई के दौरान जब ने पूछा कि क्या पार्टी की मीटिंग में शामिल होने के लिए भी व्हिप जारी किया जा सकता है? तो इसपर कपिल सिब्बल ने कहा कि व्हिप जारी नहीं किया गया है बल्कि पार्टी के चीफ़ व्हिप की तरफ़ से नोटिस जारी किया गया है। 

जज ने कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या पार्टी की मीटिंग अटेंड करने की एक रिक्वेस्ट है? क्या मीटिंग अटेंड न करना अवैध घोषित करने का आधार हो सकता है? तो इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि इसका फ़ैसला स्पीकर को करना है, कोई कोर्ट इसका फैसला नहीं कर सकती। 

कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर यह तय करेंगे कि पार्टी मीटिंग में शामिल होना अवैध घोषित करने का आधार हो सकता है या नहीं और मीटिंग में न आने से ज़्यादा महत्वपूर्ण पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होना है।

जज जब ये कहा कि कि इस मामले को विस्तार से सुने जाने की जरूरत है तो कपिल सिब्बल ने मांग की राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया जा। इसपर जज ने कहा कि वे उसी को एग्जामीन करना चाहते हैं तो कपिल सिब्बल ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांस्फर कर दिया जाए तो इसके  जवाब में जज ने कहा कि अभी नहीं। 

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