पम्बा (केरल): भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं ने सबरीमला मंदिर में रविवार को चार महिलाओं को प्रवेश करने से रोक दिया, वहीं प्रसिद्ध मंदिर में मासिक धर्म के उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहा गतिरोध आज पांचवें दिन भी जारी रहा। दस से 50 वर्ष उम्र वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिबंध हटाने के आदेश को लागू करने का श्रद्धालु विरोध कर रहे हैं। श्रद्धालुओं ने अयप्पा के मंत्रों का उच्चारण करते हुए तेलुगु बोलने वाली चार महिलाओं को मंदिर में पहुंचने से पहले ही रोक दिया।
उच्चतम न्यायालय द्वारा सदियों पुराने प्रतिबंध को पिछले महीने हटाने के बाद मासिक पूजा के लिए मंदिर के दरवाजे पांच दिन पहले खोले गए थे। एक कार्यकर्ता सहित कुछ युवतियों ने ‘नैश्तिक ब्रह्मचारी’ (शाश्वत ब्रह्मचर्य) मंदिर में बुधवार से ही प्रवेश करने का प्रयास किया लेकिन पुजारियों के समर्थन में श्रद्धालु उनका मार्ग रोक रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि वे परम्परा को तोड़ने की अनुमति नहीं देंगे। अभी तक मौजूद संकेतों के मुताबिक दस से 50 उम्र वर्ग की एक भी महिला मंदिर में नहीं पहुंच पाई है। मासिक पूजा के बाद सोमवार को मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे।
भाजपा ने मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की है जबकि कांग्रेस ने राजग सरकार द्वारा अध्यादेश लाए जाने की मांग की है। सबरीमला मंदिर के परम्परागत संरक्षक पंडालम शाही परिवार ने आरोप लगाया कि माकपा नीत एलडीएफ सरकार मासिक धर्म उम्र वर्ग की महिलाओं को ‘‘नैश्तिक ब्रह्मचारी’’ मंदिर में प्रवेश देकर मंदिर की पवित्रता को बर्बाद करने का प्रयास कर रही है।
रविवार को 47 वर्षीय एक महिला मंदिर के गर्भ गृह ‘नडाप्पंधाल’ के नजदीक पहुंच गई लेकिन श्रद्धालुओं ने ‘‘स्वामिये शरणम अयप्पा’’ का मंत्रोच्चार करते हुए उसे वहां प्रवेश करने से रोक दिया। इससे पहले मंदिर की तरफ जा रहीं तीन महिलाओं को भी श्रद्धालुओं ने रोक दिया। वहां मौजूद एक बुजुर्ग महिला श्रद्धालु ने कहा कि महिला के पहचान पत्र में उसके जन्म का वर्ष 1971 अंकित था और वह ‘अनुमन्य उम्र’ तक नहीं पहुंच पाई थी इसलिए अन्य श्रद्धालुओं ने मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे रोक दिया। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने अपने रिश्तेदारों के साथ आईं दो महिलाओं को मंदिर के रास्ते में ही रोक दिया जिनकी उम्र 40 वर्ष के करीब थी। पुलिस ने दोनों महिलाओं को सुरक्षित निकाला। पुलिस ने कहा कि दोनों ने उन्हें बताया कि मंदिर की परम्परा की उन्हें जानकारी नहीं थी, इसलिए वे सबरीमला आ गई।