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सबरीमाला में द्वार खुलने से पहले महिलाओं को मंदिर जाने से रोका गया, तनाव की स्थिति

सबरीमाला जाने के रास्ते में निलाकल में भारी तनाव के बीच एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, मासिक पूजा के लिए मंदिर जब कल शाम खुलेगा तो 10 से 50 साल की आयु की किसी महिला को निलाकल से आगे और मंदिर में पूजा-अर्चना की इजाजत नहीं दी जाएगी।

Edited by: India TV News Desk
Published : October 16, 2018 23:05 IST
Sabarimala opens tomorrow; tension as women stopped from...
Sabarimala opens tomorrow; tension as women stopped from going to the shrine

तिरूवनंतपुरम: सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से मंदिर के द्वार कल खुलने जा रहे हैं और भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला भक्तों ने निलाकल में मासिक धर्म की आयु वाली महिलाओं और लड़कियों को रोकने के लिए रास्ते में वाहन रोककर देखे और उन्हें आगे नहीं जाने दिया। इसके बाद तनाव और बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सदियों पुरानी परंपरा पिछले महीने हटा दी थी और सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी थी। उस आदेश के बाद से कल पहली बार मंदिर के द्वार खुलेंगे।

हालात को सुलझाने के लिए त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) के अंतिम प्रयास बेकार रहे जहां पंडालम शाही परिवार और अन्य पक्षकार इस मामले में बुलाई गई बैठक को छोड़कर चले गए। शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने के मुद्दे पर बातचीत करने में बोर्ड की अनिच्छा से ये लोग निराश दिखे। इस बीच भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला श्रद्धालुओं ने मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर जाकर उन महिलाओं को मंदिर से करीब 20 किलोमीटर पहले निलाकल में रोकने का प्रयास किया जिनकी आयु 10 से 50 साल है।

‘स्वामीया शरणम् अयप्पा’ के नारों के साथ भगवान अयप्पा भक्तों ने इस आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं की बसें और निजी वाहन रोके और उन्हें यात्रा नहीं करने के लिए मजबूर किया। इन महिलाओं में पत्रकार रितू भी थीं, जिन्होंने दावा किया कि वह अपने कवरेज के काम से मंदिर जा रही हैं और उनका मंदिर में प्रवेश का कोई इरादा नहीं है। उनका ऐसा भी कुछ करने की मंशा नहीं है जिससे अयप्पा भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हों।

सबरीमाला जाने के रास्ते में निलाकल में भारी तनाव के बीच एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘मासिक पूजा के लिए मंदिर जब कल शाम खुलेगा तो 10 से 50 साल की आयु की किसी महिला को निलाकल से आगे और मंदिर में पूजा-अर्चना की इजाजत नहीं दी जाएगी।’’ टेलीविजन चैनलों की फुटेज में देखा गया कि काले कपड़े पहने कुछ युवतियों और कुछ कॉलेज विद्यार्थियों को एक बस से उतरने के लिए कहा जा रहा है।

इस अति संवेदनशील विषय पर कठिन समय का सामना कर रहे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। मेरी सरकार सबरीमाला के नाम पर कोई हिंसा नहीं होने देगी।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘श्रद्धालुओं को सबरीमाला जाने से रोकने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’’ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समीक्षा की मांग नहीं करने के सरकार के फैसले पर फिर से विचार किए जाने की संभावना खारिज कर दी। विजयन ने कहा, ‘‘हम सुप्रीम कोर्ट के कहे का पालन करेंगे।’’

इस बीच मंदिर का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड की बैठक के बाद पंडालम शाही परिवार के सदस्य शशिकुमार वर्मा ने कहा, ‘‘हम चाहते थे कि आज समीक्षा याचिका दाखिल करने पर फैसला हो, लेकिन बोर्ड ने कहा कि 19 अक्टूबर को टीडीबी की अगली बैठक में ही इस पर बातचीत हो सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी चाहते हैं कि सबरीमला को युद्ध क्षेत्र नहीं बनाया जाए।’’

बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने बैठक के असफल होने के तर्कों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘वे चाहते थे कि पुनर्विचार याचिका तत्काल दायर कर दी जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट 22 अक्टूबर तक बंद है। जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है तो बोर्ड क्या कर सकता है? लेकिन बोर्ड इस मुद्दे के समाधान के लिए उनसे बात करता रहेगा।’’

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