सबरीमला: अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच दो दिवसीय विशेष पूजा के लिए तीन हफ्ते में दूसरी बार भगवान अयप्पा मंदिर के दरवाजे सोमवार को यहां खोले गए। आशंका थी कि मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश का विरोध करने वाले यहां प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि, पुलिस ने कहा कि मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की कोई लड़की या महिला नजर नहीं आई लेकिन 30 साल की एक महिला अपने पति और दो बच्चों के साथ पम्बा स्थित आधार शिविर पहुंची है। बहरहाल, अलप्पुझा जिले के चेरथला की रहने वाली अंजू नाम की इस महिला ने पुलिस को बताया कि वह मंदिर नहीं आना चाह रही थी लेकिन अपने पति अभिलाष के दबाव में वह पम्बा आई।
पुलिस ने दावा किया कि महिला के पति की जिद है कि उसे अपने परिवार के साथ पूजा-अर्चना करने दी जाए। इस मुद्दे पर केरल पुलिस विरोधाभासी बयान देती दिख रही है। एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि महिला ने पुलिस सुरक्षा की मांग की थी जबकि पुलिस अधीक्षक राहुल आर नायर का कहना है कि महिला ने कोई सुरक्षा नहीं मांगी। जब महिला का पति अपने रुख पर कायम रहा तो पुलिस ने अंतिम निर्णय के लिए उसके रिश्तेदारों को पम्बा आने को कहा। रात 10 बजे मंदिर के द्वार बंद होने के समय अंजू और उसका परिवार पुलिस नियंत्रण कक्ष में इंतजार कर रहे थे।
पम्बा वह स्थान है जहां से श्रद्धालु पर्वत चोटी पर स्थित सबरीमला मंदिर तक पांच किलोमीटर तक पैदल जाते हैं। इससे पहले, सबरीमला को लगभग किले में तब्दील कर दिया गया। मंदिर परिसर और आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी, सशस्त्र कमांडो की मौजूदगी के साथ साथ सुरक्षा के चाक चौबंद प्रबंध किए गये। निगरानी कैमरे और मोबाइल फोन जैमर भी लगाए गए। मंदिर के तंत्री (प्रधान पुजारी) कंडारारू राजीवरू और मेलशांति (मुख्य पुजारी) उन्नीकृष्णन नामबूथिरी ने मिलकर शाम पांच बजे गर्भगृह के द्वार खोले और हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर में प्रवेश किया।
मंदिर अधिकारियों ने कहा कि सोमवार को कोई विशेष पूजा नहीं होगी। रात दस बजे इसके द्वार बंद कर दिये जाएंगे। दरवाजे मंगलवार को फिर खुलेंगे। मंगलवार को त्रावणकोर के आखिरी राजा चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा के जन्मदिवस के अवसर पर मंगलवार को विशेष पूजा ‘श्री चित्रा अत्ता तिरूनाल’ होगी। कई भाजपा नेता और अयप्पा धर्म सेना के अध्यक्ष राहुल ईश्वर शाम को मंदिर परिसर पहुंचे। टीवी फुटेज में दिखा है कि श्रद्धालु पुलिसकर्मियों के साथ निलक्कल से पम्बा के बीच में कई स्थानों पर बहस कर रहे हैं। यह मंदिर तक पहुंचने का रास्ता है।
पुलिस द्वारा गहन जांच से परेशान होने के अलावा श्रद्धालुओं की शिकायत है कि आधार शिविर में सुविधाओं की कमी है। अगस्त में आयी बाढ़ की वजह से यहां काफी क्षति पहुंची थी। मीडियाकर्मियों को भी सुबह में निलक्कल से पम्बा जाने नहीं दिया जा रहा था लेकिन बाद में यह प्रतिबंध हटा दिया गया। इस बीच, केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने के नाम पर श्रद्धालुओं को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। पुलिस और प्रशासन हाई अलर्ट पर हैं। मंदिर के आसपास सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी गयी है और यह मंगलवार रात मंदिर के दरवाजे खुले रहने तक जारी रहेगी।
पथनमथिट्टा के पुलिस अधीक्षक टी नारायणन ने रविवार को कहा था कि श्रद्धालु आराम से ‘दर्शन’ कर सकें, इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बीस सदस्यीय कमांडो टीम और 100 महिलाओं समेत 2,300 कर्मियों को सुगम ‘दर्शन’ तथा श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया गया है। पचास वर्ष से अधिक की आयु वाली कम से कम 15 महिला पुलिसकर्मियों को ‘सन्निधानम’ में तैनात किया गया है।
यह पूछे जाने पर कि मंदिर के अंदर केवल 50 साल से अधिक की महिला कर्मियों को तैनात क्यों किया गया है, पुलिस महानिरीक्षक एम आर अजीत कुमार ने कहा कि विभिन्न विभागों से ‘‘योग्य’’ उम्र की महिला कर्मियों को काफी समय से मंदिर में तैनात किया गया है। उच्चतम न्यायालय के सभी महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश देने के फैसले के बाद इस मंदिर को 17 अक्टूबर को पहली बार छह दिन के लिए खोला गया था। अब यह दूसरा मौका है जब मंदिर को खोला जा रहा है।