नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय आज उन याचिकाओं पर विचार कर सकता है जिनमें केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति वाले उसके 28 सितंबर के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 28 सितंबर को 4:1 के अपने फैसले में सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ करते हुए कहा था कि यह पाबंदी लैंगिक भेदभाव के समान है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ सबरीमला संबंधी उसके फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली 48 याचिकाओं पर न्यायाधीशों के कक्ष में विचार करेगी।
इन याचिकाओं के अलावा, इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली तीन अलग अलग याचिकाएं सीजेआई गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ के सामने खुली अदालत में सुनवाई के लिए रखी जाएंगी। शीर्ष अदालत ने नौ अक्टूबर को एक संगठन की पुनर्विचार याचिका पर तत्काल सुनवाई से इंकार किया था।