नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में मंत्री बनाए गए एस जयशंकर, पीयूष गोयल और मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने-अपने मंत्रालय का पदभार संभाल लिया है। एस जयशंकर ने बतौर विदेश मंत्री, पीयूष गोयल ने बतौर रेल मंत्री तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री और मुख्तार अब्बास नकवी ने बतौर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के तौर पर शपथ ली है। बता दें कि मोदी की नई कैबिनेट के लिए चुने गए नेताओं ने गुरुवार को मंत्री पद की शपथ ली थी।
एस जयशंकर पर सबकी नजर
अनुभवी नौकरशाह एवं पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को चीन एवं अमेरिका मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है और नए विदेश मंत्री के रूप में उन पर खास नजर होगी कि वह इन दोनों महत्वपूर्ण देशों के साथ मिलकर पाकिस्तान से निपटने में भारत के रूख को किस प्रकार से आगे बढ़ाते हैं। जयशंकर को यह महत्वपूर्ण दायित्व उस समय दिया गया है जब करीब 16 महीने पहले ही वे विदेश सेवा से सेवानिवृत हुए हैं। उनके समक्ष विश्व स्तर खासकर जी..20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स संगठन जैसे वैश्चिक मंचों पर भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की उम्मीदों को अमल में लाने की जिम्मेदारी भी रहेगी।
हालांकि, उनके नेतृत्व में अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और यूरोपीय संघ तथा पड़ोसी देशों के साथ व्यापार एवं रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने पर मंत्रालय का मुख्य जोर रहेगा। जयशंकर के समक्ष एक अन्य चुनौती चीन के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत बनाने पर होगी जो 2017 के मध्य में डोकलाम विवाद के बाद प्रभावित हुए हैं। 64 वर्षीय जयशंकर न तो राज्यसभा और न ही लोकसभा के सदस्य हैं । उनके नेतृत्व में मंत्रालय के अफ्रीकी महाद्वीप के साथ सहयोग प्रगाढ़ बनाने पर जोर देने की उम्मीद है जहां चीन तेजी से प्रभाव बढ़ा रहा है।
नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को शामिल किया जाना चौंकाने वाला रहा। अनुभवी राजनयिक जयशंकर चीन और अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के प्रतिनिधि भी रहे थे। देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के . सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे। इस समझौते के लिए 2005 में शुरूआत हुयी थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे।
जनवरी 2015 में जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी थी। जयशंकर अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत के पदों पर भी काम कर चुके हैं।
1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं। 64 वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव रहे हैं।
फिर मंत्री बने पीयूष गोयल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पिछली केंद्र सरकार में भी पीयूष गोयल रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। रेल मंत्रालय के अतिरिक्त गोयल के पास पहले की ही तरह वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी है। कैबिनेट मंत्री बनने से पहले वह राज्यमंत्री एवं स्वतंत्र प्रभार के मंत्री के तौर पर ऊर्जा एवं कोयला समेत कई मंत्रालयों के काम देख रहे थे। मोदी सरकार के युवा चेहरों में गिने जाने वाले गोयल को एक तेज तर्रार मंत्री माना जाता है और वह अपने विभागों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जाने जाते हैं। ऊर्जा मंत्री के तौर पर उनके काम के चलते उन्हें सरकार में काफी अहमियत मिली। उनके रेल मंत्री रहते हुए भारत की पहली इंजनलेस ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस पटरी पर उतरी थी।
पीयूष गोयल 13 जून 1964 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में पैदा हुए थे। उनके पिता वेद प्रकाश गोयल वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके थे, जबकि मां चंद्रकांता गोयल महाराष्ट्र विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 3 बार विधायक रह चुकी हैं। गोयल एक मेधावी छात्र रहे हैं और वह चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा में पूरे देश में दूसरे नंबर पर आए थे। उन्होंने येल, ऑक्सफर्ड और प्रिंसटन जैसे विश्वविद्यालयों के लीडरशीप प्रोग्राम में भी हिस्सा लिया है। राजनीति में आने से पहले गोयल एक इन्वेस्टमेंट बैंकर थे।
पीयूष गोयल को 2010 में महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद चुना गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने 26 मई 2014 को उन्हें उर्जा एवं कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया और साथ ही नई और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री भी बनाया गया। गोयल को इसके बाद 3 सितंबर 2017 को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। पीयूष गोयल ने बतौर रेल मंत्री कम समय में ही शानदार परफॉर्मेंस दी और मोदी कैबिनेट के सबसे सफल मंत्रियों में गिने गए। वहीं, वित्त मंत्री अरुण जेटली की गैरमौजूदगी में गोयल ने कुछ समय तक वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली थी।
मुख्तार अब्बास नकवी ने संभाला पदभार
भारतीय जनता पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा कहलाने वाले मुख्तार अब्बास नकवी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के एक सामान्य परिवार में 15 अक्टूबर 1957 को हुआ था। नकवी 1975 में आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण के "संपूर्ण क्रांति" आंदोलन में सक्रिय रहे और मात्र 17 वर्ष की उम्र में "मीसा-डी.आई.आर" में जेल में नजरबन्द किए गए। लोकतान्त्रिक मूल्यों एवं सामाजिक सरोकार को लेकर कई आंदोलनों-अभियानों में सक्रिय रहे नकवी ने मास कम्युनिकेशन में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है।
मुख्तार अब्बास नकवी अब तक बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर दो विधानसभा (1991, 1993) और तीन लोकसभा (1998, 1999, 2009) चुनाव लड़ चुके है। 1998 में नकवी उत्तर प्रदेश की रामपुर संसदीय सीट से भाजपा के पहले मुस्लिम लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। वह 2002, 2010, 2016 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। इसके अलावा 1998 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना प्रसारण एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री रहे। इस सबसे अलग पिछली मोदी सरकार में उन्हें संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मिला था।