नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सात महीने लंबे सीमा गतिरोध में भारत की परीक्षा ली जा रही थी। साथ ही उन्होंने विश्वास जताया कि देश राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौती पर खरा उतरेगा। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए ‘‘घटनाक्रमों’’ को ‘‘बेहद परेशान’’ करने वाला करार देते हुए जयशंकर ने कहा कि वहां जो कुछ भी हुआ वह चीन के हित में नहीं है क्योंकि वह भारत में साख गंवाने की आशंका का सामना कर रहा है जिसे हाल के दशकों में बड़ी सूझबूझ से विकसित किया गया था।
उन्होंने कहा कि इन घटनाक्रमों ने कुछ बहुत ‘‘बुनियादी चिंताएं’’ पैदा कर दी है क्योंकि ‘‘अन्य पक्ष’’ ने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) का सम्मान करते हुए समझौतों का पालन नहीं किया है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की वार्षिक बैठक के एक सत्र में यह पूछे जाने पर कि क्या चीन-भारत सीमा पर गतिरोध लंबा चलेगा या इसमें कोई सफलता मिलने की उम्मीद है, जयशंकर ने कहा, ‘‘ मैं किसी तरह का पूर्वानुमान व्यक्त नहीं करूंगा कि क्या यह करना आसान होगा या नहीं अथवा समय सीमा क्या होगी?’’
पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध चीन की कार्रवाई का परिणाम: भारत
इससे पहले भारत ने शुक्रवार को कहा कि पिछले छह महीने में पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध चीन की कार्रवाइयों का परिणाम है क्योंकि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को ‘‘एकतरफा ढंग से बदलने’’ की कोशिश की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में यह बात तब कही जब उनसे चीनी विदेश मंत्रालय की उन ताजा टिप्पणियों के बारे में पूछा गया जिनमें उसने पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमारा रुख बहुत ही स्पष्ट रहा है, जिसे अतीत में कई बार बयां किया गया है। पिछले छह महीने से हम जो हालात देख रहे हैं, वह चीनी पक्ष की कार्रवाइयों का परिणाम है जिसने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर स्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव करने की कोशिश की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये (चीनी) कार्रवाई, भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में एलएसी पर शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए किए गए द्विपक्षीय संबंधों तथा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।’’ उल्लेखनीय है कि चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के लिए बृहस्पतिवार को एक बार फिर भारत को जिम्मेदार ठहराया था।
चीन की अधिकारी ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन की तरफ से विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किए जाने के बाद द्विपक्षीय संबंधों को ‘‘बहुत बुरी तरह नुकसान पहुंचा है’’ और बीजिंग ने अपनी कार्रवाइयों के लिए भारत को ‘‘पांच भिन्न व्याख्याएं’’ दी हैं। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमने चीन के उस बयान का संज्ञान लिया है, जिसमें उसने कहा था कि वह द्विपक्षीय समझौतों का कड़ाई से पालन करता है और सीमा मुद्दे का समाधान वार्ता के जरिए निकालने को प्रतिबद्ध है तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता की हिफाजत कर रहा है। हम उम्मीद करते हैं चीनी पक्ष अपनी कही बात के अनुरूप कार्य भी करेगा।’’
पूर्वी लद्दाख में मई महीने से ही भारत और चीन की सेनाएं तैनात हैं। दोनों पक्षों ने कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता की है लेकिन सीमा गतिरोध दूर करने में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य माध्यमों से संवाद जारी रखा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि आगे की चर्चा में पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी से लगे टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से हटाए जाने को सुनिश्चित करने के लिए एक परस्पर स्वीकार्य समाधान पर सहमति बनाने में तथा यथाशीघ्र शांति एवं स्थिरता बहाल करने में दोनों पक्षों को मदद मिलेगी।’’
चीन की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि उसे कूटनीतिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारत के साथ संयुक्त स्मृति टिकट जारी करने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा क्योंकि नयी दिल्ली ने मामले पर अपना फीडबैक नहीं दिया, श्रीवास्तव ने इसे तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए संयुक्त स्मृति टिकट जारी करने के कार्यक्रम पर पिछले साल चीन की ओर से सहमति बनी थी। हालांकि इस कार्यक्रम के लिए टिकट जारी करने की किसी तारीख पर चीन के किसी अधिकारी के साथ कोई बात नहीं हुई।’’
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमने चीनी दूतावास का ट्वीट भी देखा है जिसमें कहा गया है कि चीनी पक्ष ने कार्यक्रम रद्द कर दिया क्योंकि भारतीय पक्ष की ओर से दोनों देशों द्वारा टिकट जारी करने के लिए तय किए गए समय से पहले फीडबैक नहीं दिया गया-यह तथ्यात्मक रूप से गलत है।’’ उन्होंने कहा कि 70वीं वर्षगांठ से संबंधित समारोह की शुरुआत अभी हुई ही नहीं है, इसलिए इसके दायरे में संयुक्त कार्यक्रम का मुद्दा उठता ही नहीं है।