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PM की डिग्री देखने के अनुरोध पर डीयू ने कहा- मजाक बनकर रह गया है RTI कानून

दिल्ली विश्वविद्यालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि सूचना का अधिकार (RTI) कानून ‘‘मजाक’’ बनकर रह गया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित साल 1978 में बीए परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के बारे में जानकारी मांगी जा रही है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 31, 2019 20:46 IST
pm modi- India TV Hindi
pm modi

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि सूचना का अधिकार (RTI) कानून ‘‘मजाक’’ बनकर रह गया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित साल 1978 में बीए परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के बारे में जानकारी मांगी जा रही है। यह दलील न्यायूमर्ति ए जे भम्बानी के सामने दी गई जिन्होंने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए चार फरवरी की तारीख तय की। अगली तारीख पर इसी तरह की अन्य याचिकाओं को भी सुनवाई के लिए रखा गया है।

डीयू की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘आरटीआई कानून इस तरह की जानकारी मांगने के कारण मजाक बनकर रह गया है। दो सार्वजनिक शख्सियतों की डिग्री मांगी गई है। एक माननीय प्रधानमंत्री हैं और अन्य एक मंत्री हैं।’’

आरटीआई कानून के कुछ प्रावधानों का जिक्र करते हुए विधि अधिकारी ने कहा कि जब तक कोई जनहित नहीं हो, निजी सूचनाएं कभी भी नहीं दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल किसी बाहरी कारणों से नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ये डिग्रियां विभिन्न मंचों पर सार्वजनिक रूप से पहले से मौजूद हैं और छिपाने को कुछ भी नहीं है लेकिन ‘‘हमें इस कानून को इतने निचले स्तर तक नहीं ले जाना चाहिए।’’

अदालत डीयू की केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 1978 में बीए परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के विश्वविद्यालय रिकॉर्ड के निरीक्षण की अनुमति देने को कहा गया था। विश्वविद्यालय के अनुसार, 1978 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी परीक्षा पास की थी।

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