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जिहादी-वामपंथी गठजोड़ CAA को लेकर काल्पनिक भय फैलाकर हिंसा और अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहा है: RSS

RSS की तरफ से कहा गया कि 1947 में भारत का विभाजन पांथिक आधार पर हुआ था। दोनों देशों ने अपने यहाँ पर रह रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा, पूर्ण सम्मान तथा समान अवसर का आश्वासन दिया था।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 16, 2020 15:12 IST
RSS says citizen amendment act is Moral and Constitutional obligation of Bharat- India TV Hindi
Image Source : RSS TWITTER RSS says citizen amendment act is Moral and Constitutional obligation of Bharat

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) ने कहा है कि नागरिकता कानून (CAA) को लेकर कहा है कि जिहादी-वामपंथी गठजोड़ इसको लेकर समाज के एक वर्ग में काल्पनिक भय फैला रहा है और हिंसा तथा अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहा है। RSS की तरफ से कहा गया है कि CAA लेकर सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि भारत का कोई भी नागरिक इससे प्रभावित नहीं होगा।

नागरिकता कानून लेकर संघ के आधिकारिक ट्विटर हेंडल से जारी किए गए ट्वीट्स में लिखा है, “सरकार द्वारा संसद में तथा बाद में यह स्पष्ट किया गया है कि #CAA से भारत का कोईभी नागरिक प्रभावित नहीं होगा।यह संशोधन तीन देशों में पांथिक आधार पर उत्पीड़ित होकर भारत आए दुर्भाग्यपूर्ण लोगों को नागरिकता देने के लिए है तथा किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता वापस लेने के लिए नहीं है। परंतु, जिहादी–वामपंथी गठजोड़, कुछ विदेशी शक्तियों तथा सांप्रदायिक राजनीति करने वाले स्वार्थी राजनैतिक दलों के समर्थन से, समाज के एक वर्ग में काल्पनिक भय एवं भ्रम का वातावरण उत्पन्न करके देश में हिंसा तथा अराजकता फैलाने का कुत्सित प्रयास कर रहा है।”

RSS की तरफ से कहा गया कि 1947 में भारत का विभाजन पांथिक आधार पर हुआ था। दोनों देशों ने अपने यहाँ पर रह रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा, पूर्ण सम्मान तथा समान अवसर का आश्वासन दिया था। भारत की सरकार एवं समाज दोनों ने अल्पसंख्यकों के हितों की पूर्ण रक्षा की। भारत से अलग होकर निर्मित हुए देश नेहरु-लियाकत समझौते और समय-2 पर नेताओं के आश्वासनों के बावजूद ऐसा वातावरण नहीं दे सके। इन देशों में रह रहे अल्पसंख्यकों का पांथिक उत्पीड़न,उनकी संपत्तियों पर बलपूर्वक कब्जा तथा महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं ने उन्हें नए प्रकार की गुलामी की ओर धकेल दिया। वहां की सरकारों ने भी अन्यायपूर्ण कानून एवं भेदभावपूर्ण नीतियाँ बनाकर इन अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को बढ़ावा ही दिया। परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में इन देशों के अल्पसंख्यक भारत में पलायन को बाध्य हुए। इन देशों में विभाजन के बाद अल्पसंख्यकों के जनसंख्या प्रतिशत में तीव्र गिरावट उसका प्रमाण है

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