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अब ई-शाखा लगाएगा RSS, जल्द लॉन्च होगा मोबाइल ऐप

संघ यह पहल बेंगलूरू, हैदराबाद, मुम्बई, तिरूवनंतपुरम जैसे सूचना प्रौद्योगिकी केंद्रों में आईटी पेशेवरों एवं युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से कर रहा है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 25, 2018 14:42 IST
राष्ट्रीय स्वयंसेवक...- India TV Hindi
Image Source : PTI राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब जल्द मोबाइल फोन तक अपनी पहुंच बनाने जा रहा है। जो लोग किसी भी कारणवश भौतिक रूप से संघ की शाखा में नहीं पहुंच पा रहे हैं उनके लिए संघ अब ई-शाखा लगाने जा रहा है। इस कवायद के तहत संघ न केवल अपने सेवा कार्यो की जानकारी जन-जन तक पहुंचायेगा बल्कि ‘ई-शाखा’ एवं ‘आईटी मिलन’ कार्यक्रमों के जरिये भी नयी पीढ़ी में पैठ बनाएगा। आरएसएस के एक वरिष्ठ प्रचारक ने को बताया कि आरएसएस ‘गाथा’ नामक एक ऐप की शुरूआत करने जा रहा है और उम्मीद है कि इसे दो महीने में पेश किया जा सकेगा। 

हाल ही में, जयपुर में संघ की अखिल भारतीय सेवा समन्वय की बैठक में इसका खाका तैयार किया गया था। ‘गाथा’ ऐप के माध्यम से संघ अपने संगठन, इतिहास के साथ ही पास में लगने वाली शाखा की जानकारी प्रदान करेगा। इस पर अपलोड किए गए वीडियो के माध्यम से शाखा कार्यक्रमों एवं गतिविधियों को पेश किया जा सकेगा। इस ऐप का उपयोग मोबाइल एंड्रायड एवं उपकरणों के माध्यम से किया जा सकेगा ।  संघ की कोशिश प्रौद्योगिकी के जरिये युवाओं को अपने कार्यो, तौर-तरीकों के बारे में बताना और उनके सवालों एवं शंकाओं का समाधान करने की है। आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक राजीव तुली ने बताया कि संघ ने ‘ज्वाइन आरएसएस’ पहल शुरू की है जो एक आनलाइन कार्यक्रम है। इसके तहत आभासी दुनिया में रहने वाले लोगों के लिये ‘वास्तविक शाखा’ का आयोजन किया जा रहा है । 

यह पहल खास तौर पर आईटी, बीपीओ समेत आईसीटी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिये है।  संघ यह पहल बेंगलूरू, हैदराबाद, मुम्बई, तिरूवनंतपुरम जैसे सूचना प्रौद्योगिकी केंद्रों में आईटी पेशेवरों एवं युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से कर रहा है। संघ के एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि आईटी क्षेत्र के ऐसे लोग जो खुद शाखाओं में हिस्सा लेने नहीं जा पाते हैं, वे इंटरनेट के माध्यम से हमसे जुड़ सकते हैं। किसी संगठन से हमेशा भौतिक रूप से जुड़ना जरूरी नहीं है।  उन्होंने बताया कि अमेरिका, मारिशस, ब्रिटेन समेत 39 देशों में संघ की मौजूदगी है। फिनलैंड, जिम्बाबे, केन्या जैसे देशों में लोग ‘ई-शाखा’ के माध्यम से जुड़़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश में भी युवाओं को जोड़ने के लिये ‘ई-शाखा’ पहल पर काम किया जा रहा है। आरएसएस ने पिछले कुछ समय में साफ्टवेयर क्षेत्र से जुड़े लोगों का नेटवर्क तैयार किया है और ऐसे युवाओं के लिये ‘आईटी मिलन’ कार्यक्रम आयोजित कर रहा है । 

उन्होंने बताया कि संघ ने युवाओं को बड़े पैमाने पर लोगों को संगठन से जोड़ने के लिए 3 वर्ष का एक खाका तैयार किया है। इसमें 15 वर्ष से कम आयु के तरुणों को नियमित शाखा से जोड़ने और 15 वर्ष से अधिक आयु के किशोरों के लिए साप्ताहिक मिलन कार्यक्रम की पहल को तत्परता से आगे बढ़ाया जाएगा। 

संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक ने बताया कि समाज में संघ का कार्य बढ़ा है। संघ के कार्य के विस्तार में युवाओं की बड़ी भूमिका है। संघ का एक प्रकल्प है ‘ज्वाइन आरएसएस’। इसके माध्यम से बड़ी संख्या में तकनीक में प्रवीण युवा संघ से जुड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि ‘ज्वाइन आरएसएस’ के माध्यम से जुड़ने वाले युवाओं की संख्या में 2015 की तुलना में 2016 में 48 प्रतिशत और 2017 में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह सभी आंकड़े जनवरी से जून तक के हैं, जिनमें 20 से 35 आयु वर्ग के युवकों की संख्या अधिक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देशभर में अपनी शाखाओं के बारे में आंकड़ों के माध्यम से जोर दिया कि पिछले वर्षो में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य, शाखाओं की संख्या और युवाओं के सहयोग में लगातार वृद्धि हुई है।  आरएसएस के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष संघ की शाखा के स्थानों की संख्या में 550 की वृद्धि हुई है। वर्तमान में 34000 से अधिक स्थानों पर प्रतिदिन शाखा और 15000 से अधिक स्थानों पर साप्ताहिक मिलन संचालित हो रहे हैं। यानी करीब 49,493 स्थानों पर शाखा और मिलन के माध्यम से समाज में संघ का कार्य चल रहा है। 

पदाधिकारी ने बताया कि संघ ग्राम विकास, कुटुम्ब प्रबोधन और सामाजिक समरसता जैसी गतिविधियां संचालित कर रहा है। संघ कार्यकर्ताओं के प्रयासों से लगभग 450 गांवों में उल्लेखनीय बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि संघ मानता है कि परिवार समृद्ध और सुदृढ़ होंगे तो राष्ट्र भी समर्थ बनेगा। इस विचार को लेकर संघ के कार्यकर्ताओं ने 15 वर्ष पूर्व कर्नाटक में कुटुम्ब प्रबोधन का प्रयोग प्रारंभ किया। आज यह प्रयोग पूरे देश में चलाया जा रहा है और इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। 

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