नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है। इसके बारे में आम जनमानस से लेकर दुनिया के तमाम देशों में कई तरह की धारणाएं प्रचलित हैं। सबसे बड़ा सवाल जो पूछा जाता है वह यही है कि आखिर इतना बड़ा संगठन चलता कैसे है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को इसी विषय पर बयान दिया है। भागवत ने कहा कि बीज से वृक्ष बनता है और बीज को मिट्टी में मिल जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि समर्पण ही बीज की ताकत है। भागवत ने कहा कि संघ ऐसे लोगों से चलता है जो होते तो हैं, लेकिन दिखते नहीं हैं।
भागवत ने दिया माणिक चंद्र बाजपेयी का उदाहरण
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि राष्ट्रवादी साहित्यकार और पत्रकार मामाजी माणिक चंद्र बाजपेयी ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे। भागवत ने बुधवार को मामाजी माणिक चंद्र बाजपेयी के जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘व्यक्ति क्या बनता है, क्या करता है? इसके कारण वह यशस्वी बनता है। यश एक बात है, सार्थकता अलग बात है। मामाजी का जीवन ऐसा था। इसीलिए संघ चल रहा है।’ पांचजन्य और विश्व संवाद केंद्र मध्य प्रदेश की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में भागवत ने कहा, ‘यश का परहेज नहीं है, लेकिन सार्थकता अनिवार्य है। संघ ऐसे लोगों से चलता है जो होते हैं, लेकिन दिखते नहीं। जो कुछ न करें तो भी उनके होने का परिणाम होता है।’
करोड़ों में हैं संघ की विचारधारा को मानने वाले
मोहन भागवत ने कहा, ‘माणिक चंद्र वाजपेयी कौन हैं? यही उनका सबसे बड़ा सर्टिफिकेट है। उनके इसी समर्पण के कारण आज हम उनके बारे में बातचीत कर रहे हैं। बीज मिट्टी में मिलकर वृक्ष खड़ा कर देता है। ऐसे ही थे माणिक चंद्र बाजपेयी। वे जानते थे कि विश्व को अपना बनाना है तो पहले भारत को अपना बनाना होगा। इसके लिए भारतीयों को खड़ा करना होगा।’ बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को मानने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में है और पिछले कुछ सालों में इस संगठन के सदस्यों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। (IANS)