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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'अपने-पराये और छोटे-बड़े का भेदभाव छोड़ना होगा''

देश को सामाजिक तौर पर समरस और भेदभावमुक्त बनाने पर जोर देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने आज कहा​ कि सभी नागरिकों को एक-दूसरे के साथ समान रूप से आत्मीयता भरा बर्ताव करना चाहिये।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 04, 2018 22:09 IST
Mohan bhagwat
Mohan bhagwat

उज्जैन (मध्यप्रदेश): देश को सामाजिक तौर पर समरस और भेदभावमुक्त बनाने पर जोर देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने आज कहा​ कि सभी नागरिकों को एक-दूसरे के साथ समान रूप से आत्मीयता भरा बर्ताव करना चाहिये। संघ प्रमुख ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब महाराष्ट्र में हाल ही में सामने आयी जातीय हिंसा की घटनाओं पर देश के सामाजिक और सियासी हलकों में अलग-अलग प्रतिक्रियाओं का सिलसिला तेज हो गया है। भागवत ने स्थानीय परमार्थ संस्था माधव सेवा न्यास के नवनिर्मित मंदिर में भारत माता की 16 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने इस मौके पर आयोजित समारोह में कहा, "हमें मातृभूमि की भक्ति करते हुए सम्पूर्ण समाज को अपना मानना होगा। हमें अपने-पराये और छोटे-बड़े के भेदभाव से मुक्त होना होगा। हमें सबसे एक समान बर्ताव करना होगा।" 

उन्होंने देश के सभी नागरिकों के एक-दूसरे के साथ "सगे भाई-बहनों की तरह" आत्मीयता से रहने पर बल देते हुए कहा, "जहां आत्मीयता होती है, वहां अहंकार नहीं होता।" संघ प्रमुख ने कहा, "जैसे किसी परिवार का कोई होनहार पुत्र अपने कार्यों से सारे परिवार की कीर्ति और संपत्ति बढ़ाता है, वैसे ही परमवैभव संपन्न, समरस और शोषणमुक्त भारत के अवतरण से पूरी दुनिया का चित्र बदलेगा। हमें इस बात को आत्मसात कर संकल्प लेना पड़ेगा और इसके मुताबिक अपने जीवन को बदलना पड़ेगा।" 

उन्होंने "अखंड भारत" की संघ की परिकल्पना का हवाला देते हुए कहा, "हमें हमेशा भारत माता के अखंड स्वरूप की भक्ति करनी चाहिए।" संघ प्रमुख ने कहा, "हम पूरी धरती को अपना कुटुंब मानते हैं। हम अपने अंदर और दुनिया के कण-कण में ईश्वर को देखते हैं। भारत की मूल विचारधारा इसी बात पर आधारित है।" उन्होंने कहा, "भारत, भूमि के किसी टुकड़े भर का नाम नहीं है। हालांकि, ऐसे भी कुछ लोग हैं जो भारत को केवल भूमि का टुकड़ा बताकर कुछ न कुछ कहते रहते हैं। वैसे ये लोग भी हमारे भाई-बहन और भारत माता की संतान ही हैं।" 

उन्होंने कहा कि अन्नादुरै एक जमाने में यह विचार रखते थे कि तमिलनाडु "अलग देश" है और भारत से इसका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन जब वर्ष 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण​ किया, तो दक्षिण भारत के इस बड़े राजनेता ने एक सभा में कहा कि "भारत की उत्तरी सीमा पर चीन का हमला तमिलनाडु पर विदेशी आक्रमण है।" भागवत ने कहा, "अन्नादुरै ने स्वस्फूर्त भाव से यह बात कही। आखिर यह बात उन्हें किसने सिखायी थी। दरअसल भारत की मिट्टी ने हर नागरिक के मन में देशभक्ति का बीज स्वाभाविक रूप से पहले ही बो दिया है। भले ही कुछ लोग इस बात को न जानते या न मानते हों।" 

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