नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी पर शस्त्र पूजन के बाद अपने संबोधन में कहा कि देश ने विभाजन का दर्द झेला है, और यह दर्द अबतक नहीं गया है। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्ग के लोगों ने देश की आजादी के लिए त्याग और बलिदान दिया। इस आजादी को पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा। आरएसएस प्रमुख ने शस्त्र पूजा से पहले संघ के संस्थापक केबी हेडगेवार और एमएस गोलवलकर की समाधि स्थल पर भी गए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
आरएसएस प्रमुख ने कहा-जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की वो दर्द अभी तक गया नहीं है। अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो, परन्तु उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए। जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है। पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए। खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए। खोया हुआ वापस आ सके खोए हुए बिछड़े हुए वापस गले लगा सकें।
उन्होंने कहा कि विश्व को खोया हुआ संतुलन व परस्पर मैत्री की भावना देने वाला धर्म का प्रभाव ही भारत को प्रभावी करता है। यह ना हो पाए इसीलिए भारत की जनता, इतिहास, संस्कृति इन सबके विरुद्ध असत्य कुत्सित प्रचार करते हुए, विश्व को तथा भारत के जनों को भी भ्रमित करने का काम चल रहा है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा हम ऐसी संस्कृति नहीं चाहते जो विभाजन को बढाए, हमें ऐसी संस्कृति चाहिए जो राष्ट्र को एक सूत्र में बांधे और आपसी भाईचारे को बढ़ाए। इसलिए जन्मदिन, त्योहार जैसे विशेष अवसर एक साथ मनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि 'स्वाधीनता' से 'स्वतंत्रता' तक का हमारा सफर अभी पूरा नहीं हुआ है।
आरएसएस चीफ ने ओलंपिक और पैरालंपिक में देश के खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना की और कहा- ओलंपिक और पैरालंपिक मे हमारे खिलाड़ियों ने मेडल जीता, देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रवृति बढ़ी है।
आरएसएस चीफ ने कोरोना के दौरान हुए नुकसान की भी चर्चा की औकहा कि आर्थिक नुकसान की भरपाई करने में देश सक्षम है। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से लड़ने के लिए देश पूरी तरह से तैयार है। हमें प्रकृति के साथ जीने की कोशिश करनी चाहिए।
संघ प्रमुख ने कहा- जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में समस्या बन रही है। जनसंख्या नीति पर दोबारा विचार करने की जरूरत। सीमापार से होनेवाली घुसपैठ पर रोक लगे। वहीं तालिबान के बारे में उन्होंने कहा-तालिबान का चरित्र कैसा हम सभी जानते हैं। कभी कहता है अच्छे से रहेंगे और कभी कुछ और बात कहता है। ऐसे तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है। अपनी तैयारी को पूर्ण रखते हुए हमें सजग रहना चाहिए।