नई दिल्ली | बीएचयू के संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति पर मचे घमासान के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संस्था संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीश देवपुजारी ने कहा कि अगर मुसलमान ने साहित्य पढ़ाया तो कौन सा संकट आ गया? संस्कृत भारती ने छात्रों से आंदोलन वापस लेने और फिरोज खान से निर्भय होकर विश्वविद्यालय में शिक्षण करने की अपील की है। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन से माहौल शीघ्र सामान्य करने की मांग की है।
श्रीश देवपुजारी ने शुक्रवार की शाम जारी बयान में कहा, "बीएचयू की घटना पर संस्कृत भारती से भी तमाम लोगों ने सवाल पूछे हैं। कोई भ्रम न फैले, इस नाते संस्कृत भारती की ओर से आधिकारिक बयान जारी कर रहा हूं।"
देवपुजारी ने कहा, "संस्कृत भारती पूरे विश्व को संस्कृत सिखाने निकली है। संस्कृत भारती का भारत के अतिरिक्त 17 देशों में काम है, जिसमें अरब देश भी हैं। हम गीत गाते हैं- पाठ्येम संस्कृतं जगति सर्व मानवान। भारत में हमने जो हजारों व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है, उन्हीं में से एक डॉ. फिरोज खान भी हैं।"
उन्होंने कहा कि पहले समझ लेना होगा कि डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के तहत साहित्य विभाग में हुई है। किसी भी संकाय में कई विभाग होते हैं। बीएचयू के संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में भी साहित्य, व्याकरण, धर्मशास्त्र, वेद आदि विभाग हैं। यदि किसी मुसलमान ने साहित्य पढ़ाया तो कौन सा संकट आ गया?
संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीश देवपुजारी ने कहा, "कुछ लोग संचार माध्यमों से यह असत्य प्रचार कर रहे हैं कि डॉ. फिरोज अब कर्मकांड पढ़ाएंगे, यज्ञ कराएंगे, नियुक्ति प्रक्रिया पर संकायाध्यक्ष और विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर हैं। क्या वे किसी मुसलमान को कर्मकांड पढ़ाने या यज्ञ कराने के लिए नियुक्त करेंगे। सब के विभाग भिन्न-भिन्न हैं और सभी में विद्वान प्राध्यापक हैं।"
उन्होंने कहा, "ऐसा ही एक भ्रम धर्मशास्त्र विषय से संबंधित है। धर्म यानी रिलीजन नहीं है। भारत एक सनातन राष्ट्र है। समाज को नियंत्रित करने के लिए इस राष्ट्र में अलग-अलग काल में भिन्न-भिन्न संविधान थे, उनको स्मृतियां कहते हैं। उनका अध्ययन धर्मशास्त्र विभाग में होता है। आधुनिक शब्दावली में धर्मशास्त्र को विधिशास्त्र कह सकते हैं।"