भोपाल: मध्यप्रदेश में प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार 'कोई नहीं होगा बेरोजगार, सबको मिलेगा रोजगार' योजना शुरू करने जा रही है। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक की। आधिकारिक तौर पर मंगलवार को दी गई जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री चौहान ने भारत सरकार द्वारा घोषित आर्थिक निर्भरता पैकेज का लाभ प्रदेश में सुनिश्चित करने के लिए तैयारियां तत्काल करने के निर्देश दिए हैं। मनरेगा, शहरी पथ विक्रेता और छोटे उद्योगों के लिए पैकेज में महत्वपूर्ण रियायतें और योजनाएं घोषित की गई हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में इस समय जरूरतमंद श्रमिकों को काम की आवश्यकता है, जिससे उनकी रोजी-रोटी का ठीक से प्रबंध हो सके। इस उद्देश्य से गौशाला निर्माण, मंदिर सरोवर, मंदिर उद्यान के अधिकाधिक कार्य मनरेगा के अंतर्गत लिए जाएं। मंदिर गौशाला के कार्यो को प्राथमिकता दी जाएं। इसके लिए ग्रामीण विकास और पशुपालन विभाग संयुक्त रूप से कार्यवाही करें।
उन्होंने निर्देश दिए कि मनरेगा के अंतर्गत ऐसी संरचनाएं निर्मित की जाएं, जिनमें बारिश में भी कार्य संभव हो सकें। हर जरूरतमंद को कार्य मिले। इन कार्यो में मशीनों का प्रयोग न किया जाए। इसके साथ ही स्थायी प्रभाव वाले कार्य सम्पन्न हों। स्टॉप डैम, चेक डैम, सरोवर निर्माण, खेत तालाब, मेड़ बंधान, नंदन फलोद्यान जैसे कार्य करवाए जाएं। स्थानीय श्रमिकों के साथ ही बाहर के श्रमिकों को भी जब कार्ड प्रदान किए जाएं।
बैठक के बाद गृह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया कि 'कोई नहीं होगा बेरोजगार, सबको मिलेगा रोजगार' योजना की 22 मई को शुरुआत होगी। राज्य में ग्लोबल टेंडरिंग पर रोक लगाई गई है, अब कोई भी सामान जो देश में बनता है, विदेश से नहीं मंगाया जाएगा।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने बैठक में प्रजेंटेशन में बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 20 लाख से अधिक श्रमिकों को मनरेगा कार्यो से रोजगार का बड़ा सहारा मिल रहा है। यहां तक कि साढ़े सत्रह हजार दिव्यांग भी कार्यो से जुड़े हैं। प्रति ग्राम पंचायत औसतन 90 श्रमिक काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में गत वर्ष मई माह में करीब 10 लाख श्रमिक ही मनरेगा कार्यो से जुड़े थे। इस वर्ष इनकी संख्या बढ़कर 20 लाख यानी दोगुनी हो गई है।