नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को धनशोधन के एक मामले में जांच का सामना कर रहे रॉबर्ट वाड्रा को पूर्व अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जाने का निर्देश दिया। अदालत ने उन्हें कई अन्य शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे दी। विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने उन्हें साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित नहीं करने और जांच अधिकारी द्वारा बुलाने पर जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।
अदालत ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा से पांच लाख रुपये का निजी मुचलका भरने और इतनी ही राशि का जमानतदार लाने को कहा। वाड्रा पर लंदन में 19 लाख पाउंड के बंगले की खरीद में काले धन को सफेद में बदलने के आरोप हैं। अदालत ने अपने आदेश में राहत देते हुए वाड्रा की ओर से पेश अधिवक्ता ए एम सिंघवी की इस दलील पर संज्ञान लिया कि आरोपी जांच अधिकारी के बुलावे पर जांच में शामिल हुआ।
अदालत ने इन दलीलों पर भी संज्ञान लिया कि ऐसे कोई आरोप नहीं हैं कि आरोपी ने किसी भी समय साक्ष्यों से छेड़छाड़ की हो या इस मामले के किसी गवाह को प्रभावित किया हो। ईडी का मामला मुख्य रूप से दस्तावेजी साक्ष्यों पर आधारित है। अदालत ने कहा कि वाड्रा के कार्यालय परिसरों पर छापे मारे गए और बड़ी मात्रा में दस्तावेज जब्त किए गए। अदालत ने इस बात पर संज्ञान लिया कि उन्होंने एक फरवरी को अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी और छह फरवरी को उन्हें जांच में शामिल होने का निर्देश दिया गया।
न्यायाधीश ने कहा कि सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करते हुए मैं इसे अग्रिम जमानत देने का सही मामला मानता हूं। इसलिए, गिरफ्तार होने की स्थिति में आवेदक को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि का जमानतदार देने पर जमानत पर रिहा किया जाएगा। ईडी के विशेष लोक अभियोजक डी पी सिंह और नीतीश राणा ने वाड्रा के आवेदन का विरोध किया और कहा कि उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है और जांच से छेड़छाड़ का जोखिम है।
गौरतलब है कि ईडी के वकील ए आर आदित्य ने वाड्रा पर इस मामले के राजनीतिकरण का आरोप लगाया था। अदालत ने वाड्रा की स्कायलाइट हास्पीटैलिटी एलएलपी के कर्मचारी और इस मामले में सह आरोपी मनोज अरोड़ा की भी अग्रिम जमानत मंजूर की।