लेह: पूर्व नौकरशाह राधा कृष्ण माथुर ने गुरुवार को केंद्र शासित क्षेत्र लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ली। जम्मू कश्मीर के विभाजन के बाद लद्दाख अलग केंद्र शासित क्षेत्र बना है। माथुर अगले महीने 66 वर्ष के हो जाएंगे। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने लेह के तिसूरू में सिंधु संस्कृति ऑडिटोरियम में एक समारोह में माथुर को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस समारोह में लेह और करगिल पर्वतीय विकास परिषद के अधिकारी, सेना और अर्द्धसैनिक बल, धार्मिक नेता और आम लोग शामिल हुए। शपथ ग्रहण के बाद लद्दाख पुलिस ने माथुर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में विकास की कई गतिविधियों की आवश्यकता है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने राज्यपाल के हवाले से कहा, ‘‘क्षेत्र में कई सरकारी कार्यक्रम पहले से चल रहे हैं, नए शासन के तहत आम लोगों और पर्वतीय विकास परिषदों से विचार विमर्श के बाद लद्दाख के लिए नई प्राथमिकताएं तय की जाएंगी।’’ माथुर त्रिपुरा से 1977 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा का मुख्य सचिव रहते हुए पिछड़े और सीमांत क्षेत्रों में काम करने का अनुभव और रक्षा सचिव के रूप में काम करने का अनुभव उनके काम आएगा। उन्होंने आईआईटी से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर किया है। वह वर्ष 2015 में रक्षा सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उसी वर्ष दिसंबर में उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया। पिछले वर्ष 65 वर्ष की आयु होने के साथ ही नवंबर में उनका कार्यकाल भी पूरा हो गया।
शपथ ग्रहण से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष दिसंबर माह से अविभाजित जम्मू कश्मीर में लगा राष्ट्रपति शासन हटा दिया था। लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आने से एक दिन पहले बुधवार को केंद्र ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी उमंग नरूला को इस हिमालयी क्षेत्र के नव नियुक्त उप राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया। नरूला 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। इसी के साथ ही, 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी एस एस खंडारे को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का ‘‘पुलिस प्रमुख’’ नियुक्त किया गया है। लगभग तीन लाख की आबादी वाले लद्दाख की सीमाएं पाकिस्तान और चीन से लगती हैं। इस लिहाज से यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।