Friday, November 22, 2024
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दंगे कराना हमारी फितरत नहीं, दंगाइयों को ढूंढ़कर जेल में डालना हमारा काम-अमित शाह

राज्यसभा में दिल्ली दंगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दंगे कराना हमारी फितरत नहीं है बल्कि दंगाइयों को ढूंढकर जेल में डालना हमारा काम है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 12, 2020 22:33 IST
Amit Shah- India TV Hindi
Image Source : ANI Amit Shah

नई दिल्ली: राज्यसभा में दिल्ली दंगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दंगे कराना हमारी फितरत नहीं है बल्कि दंगाइयों को ढूंढकर जेल में डालना हमारा काम है। उन्होंने कहा कि दंगे में जो लोग भी मारे गए हैं उस नुकसान की भरपाई तो हम नहीं कर सकते लेकिन जो लोग भी इसमें शामिल रहे हैं, एक-एक को चुनकर सजा दिलाएंगे।

अमित शाह ने राज्यसभा में कहा, 'दिल्ली हिंसा को लेकर 700 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गयी है, तेजी से कार्रवाई की जा रही है।' उन्होंने कहा-विदेश से आए पैसे दिल्ली में बांटे गए थे और दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। पहचान किए गए लोगों का ब्यौरा हमारे पास उपलब्ध हो चुका है और उन्हें पकड़ने के लिए 40 से अधिक विशेष दलों का गठन किया गया है।'

गृह मंत्री ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा, 'सबसे पहले मैं सरकार की तरफ से जिन लोगों की जान गई है जिनसी संपत्ति का नुकसान हुआ है उन सभी के प्रति दुख व्यक्त करना चाहता हूं। दंगों को करने वाले, दंगों के लिए जिम्मेदार लोग और षडयंत्र करने वाले लोग किसी भी पार्टी या समुदाय के हों उनको छोड़ा नहीं जाएगा। वैज्ञानिक जांच के आधार पर अदालत में खड़ा किया जाएगा।

सदन में चर्चा में देरी को लेकर उठे सवालों पर अमित शाह ने कहा, ' 25 फरवरी की रात को 11 बजे सूचना आई, 2 मार्च को जब सदन शुरू हुआ तो दंगे समाप्त हो चुके थेष पुनर्वास की प्रक्रिया चल रही थी। दंगे समाप्त हो गए थे, पुलिस जांच में लगी थी, डाक्टर घायलों के इलाज में लगे थे और सामने होली का त्योहार था और कई बार होली के त्योहार के दौरान देश में दंगे भी हुए थे। ऐसे में एहतियात के तौर पर होली पर फिर माहौल न बिगड़े इसलिए सरकार ने होली के बाद 11 और 12 मार्च को चर्चा का फैसला लिया। इसके अलावा चर्चा में देरी का कोई और कारण नहीं है। चर्चा में देरी के पीछे, छिपाना या किसी को बचाने का कोई लक्ष्य नहीं था। भारत का लोकतंत्र इस स्थिति पर है कि कोई भी किसी कुछ नहीं छिपा सकता।' 

 

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