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प्रमोशन में आरक्षण: केंद्र ने कोर्ट के पाले में डाली गेंद, कहा- 1000 सालों से पिछड़ा है दलित समाज

2006 के नागराज जजमेंट के चलते SC-ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण रुक गया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : August 03, 2018 21:27 IST
उच्चतम न्यायलय।
Image Source : PTI उच्चतम न्यायलय।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन में एसी-एसी आरक्षण पर चल रहे केस में केंद्र सरकार ने गेंद उच्चतम न्यायलय के पाले में डाल दी है। सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर अपने 12 साल पुराने नागराज मामले में सुनवाई कर रहा है। 2006 के नागराज जजमेंट के चलते SC-ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण रुक गया है।

हजार साल से जूझ रहा है एसटी-एससी समाज

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा है कि 2006 के फैसले पर पुनर्विचार की तत्काल जरूरत है। केंद्र ने कहा कि एससी-एसटी पहले से ही पिछड़े हैं इसलिए प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए अलग से किसी डाटा की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देना सही है या नहीं, हम इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। लेकिन यह समुदाय एक हजार साल से जूझ रहा है। आज भी इन पर अत्याचार हो रहे हैं।

 संवैधानिक बेंच का फैसला आने तक प्रमोशन में आरक्षण जारी रहेगा

सुप्रीम कोर्ट ने जून में कहा था कि इस मसले पर संवैधानिक बेंच का फैसला आने तक प्रमोशन में आरक्षण जारी रहेगा। 2006 के एम. नागराज केस में कहा गया था कि प्रमोशन में आरक्षण देते वक्त भी क्रीमी लेयर जैसी दूसरी बातों और 50 प्रतिशत की लिमिट का ध्यान रखा जाए। ऐसे आंकड़े पर भी गौर किया जाएगा जिससे साबित होता हो कि संबंधित राज्य में एससी-एसटी पिछड़े हैं और सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है। ताजा मामले में मध्य प्रदेश के याचिकाकर्ताओं ने नागराज केस के आधार पर दोबारा विचार करने की मांग की है कि इंदिरा साहनी और चिन्नैया मामलों को देखते हुए पिछड़ेपन का टेस्ट एससी-एसटी पर नहीं लगाया जाना चाहिए।  

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