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आईआईटी खड़गपुर ने बनाई 'सूक्ष्म सुई', मरीजों को आसान तरीके से दी जा सकेगी दवाएं

शोधकर्ताओं ने एक सूक्ष्म सूई विकसित कर ली है जिससे बाद आसानी से सूई माध्यम से बड़ी दवा के अणुओं को आसान तरीके से मरीज को दिया जा सकेगा। यह सूई आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने विकसित की है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 29, 2020 18:01 IST
Researchers of IIT Kharagpur developed micro needle for injecting drug- India TV Hindi
Image Source : PTI Researchers of IIT Kharagpur developed micro needle for injecting drug

नई दिल्ली: शोधकर्ताओं ने एक सूक्ष्म सूई विकसित कर ली है जिससे बाद आसानी से सूई माध्यम से बड़ी दवा के अणुओं को आसान तरीके से मरीज को दिया जा सकेगा। यह सूई आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने विकसित की है। आईआईटी खड़गपुर के इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग ने इसे तैयार किया है। शोधकर्ताओं ने इस सूक्षम सूई की मजबूती का भी ध्यान रखा है ताकि यह लगाते समय चुभने के दौरान सूई टूटे ना ब। इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस मरीजों को सूई लगाने के समय भी किया जा सकता है। 

इसपर शोधकर्ता प्रोफेसर तरूण कांति भट्टाचार्य ने कहा कि इस सूक्ष्म सूई का इस्तेमाल लसीका प्रणाली इंसुलिन वितरण या किसी बीमारी के लिए मेडिकेशन के लिए किया जा सकता है, इसमें कोरोना वायरस वैक्सीन भी शामिल हैं। तरूण कांति भट्टाचार्य ने कहा कि हमने उच्च शक्ति ग्लास कार्बन माइक्रोनीडल तैयार की है, जो त्वचा प्रतिरोधी बलों का सामना कर सकता है। इस सूक्ष्म सूई की डिजाइनिंग आयनिक पॉलिमर मेटल कम्पोजिट मेम्ब्रेन आधारित माइक्रोपम्प की है, जो नियंत्रित और सटीक तरीके से दवा के अणुओं के प्रवाह दर को बढ़ाती है।

तरूण कांति ने कहा कि इस प्रयोग में कई तरह के रिसर्च और डेवलेपट कार्य किए गए हैं, जिसके बाद एक बेहतर सूक्ष्म सूई को बनाया गया। इस सूक्ष्म सूई की मदद से मरीज के शरीर में आसानी से दवा का प्रवाह किया जा सकता है, इसमें मरीज को बिना किसी दर्द के दवा दी जाएगी।

भारत के पास 2021 की शुरुआत में होगा वैक्सीन: बर्नस्टीन रिसर्च

भारत के पास निश्चित रूप से साल 2021 की पहली तिमाही के भीतर अप्रूव्ड (अनुमोदित) वैक्सीन होगा। साथ ही पैमाने के हिसाब से पुणे स्थित दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) अपनी पहली वैक्सीन वितरित करने की स्थिति में होगा। यह जानकारी एक शीर्ष वॉल स्ट्रीट रिसर्च और ब्रोकरेज फर्म, बर्नस्टीन रिसर्च की गुरुवार की रिपोर्ट से मिली है।

आईएएनएस द्वारा समीक्षा की गई बर्नस्टीन की रिपोर्ट का कहना है, वैश्विक रूप से चार उम्मीदवार ऐसे हैं जो वर्तमान साल 2020 के अंत या 2021 की शुरुआत तक वैक्सीन के अप्रूवल के करीब हैं। साझेदारी के माध्यम से भारत के पास दो हैं, पहला एजेड/ऑक्सफोर्ड का वायरल वेक्टर वैक्सीन और नोवावैक्स का प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन के साथ एजेड/ ऑक्सफोर्ड वैक्सीन।

उसमें आगे कहा गया है, "एसआईआई को अपनी मौजूदा क्षमता और योग्यता के आधार पर अप्रूवल के समय, क्षमता और मूल्य निर्धारण के मद्देनजर एक या दोनों पार्टनरशिप वाले वैक्सीन कैंडीडेट्स के व्यवसायीकरणके लिए सबसे अच्छी स्थिति में रखा गया है।"

इन दोनों कैंडीडेट्स के पहले चरण और बाकी चरणों के ट्रायल्स के डेटा 'सुरक्षा के संदर्भ में और इम्यूनिटि प्रतिक्रिया प्राप्त करने की वैक्सीन की क्षमता' को लेकर आशाजनक नजर आ रहे हैं।

रिपोर्ट में भारत के 'वैश्विक क्षमता समीकरण' को लेकर उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है साथ ही इसके मैन्यूफैक्च रिंग पैमाने को चुनौतियों का सामना नहीं करने की उम्मीद भी जताई गई है।

रिपोर्ट का कहना है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया साल 2021 में 60 करोड़ खुराक और साल 2022 में 100 करोड़ खुराक की आपूर्ति कर सकती है, वहीं गावी द वैक्सीन अलायंस और निम्न और मध्यम आय बाजारों के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता के मद्देनजर भारत में साल 2021 में इन खुराकों में से 40 से 50 करोड़ खुराक उपलब्ध होना चाहिए।

रिपोर्ट का अनुमान है कि सरकारी और निजी बाजार के बीच वैक्सीन की मात्रा 55:45 हो जाएगी।

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