मुंबई: मुंबई पुलिस ने फर्जी TRP रैकेट का भंडाफोड़ किया है। मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि रिपब्लिक टीवी ने पैसे देकर अपनी टीआरपी को बढ़ाया। पुलिस रिपब्लिक टीवी के बैंक अकाउंट की जांच करेगी। उन्होनें बताया कि BARC की शिकायत पर मुंबई पुलिस ने यह जांच शुरु की थी। जांच में पता चला कि पैसा देकर TRP से हेराफेरी हो रही थी। पुलिस ने इस संबंध में 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह आरोपी मुंबई में फेक रैकेट चला रहे थे। जिस घर में टीआरपी मीटर लगे है उन्हें पैसे दिए जाते थे।
TRP फर्जीवाड़े की बड़ी बातें
- रिपब्लिक पर आरोप है कि उसने जहां टीआरपी मीटर लगे है वहां का पता लगाया और पैसे देकर चैनल को देखने के लिए कहा गया। जिससे वह BARC की न्यूज चैनल रैटिंग में ऊंचे पायदान पर आ सके।
- रिपब्लिक टीवी ने BARC की सहयोगी एजेंसी हंसा के पूर्वी कर्मचारी से सांठगाठ कर जहां टीआरपी मीटर लगे वहां लोगों को पैसे दिए।
- पुलिस जांच में पता चला है कि जिन लोगों के घरों TRP बैरोमीटर लगाए गए हैं, उनमें से कई ने स्वीकार किया है कि उनको टीवी सेट को चालू रखने के लिए पैसे दिए गए।
- आपको बता दें कि रेटिंग्स के आधार पर विज्ञापन देने वाली कंपनियां ऊपरी पायदान पर शामिल न्यूज चैनलों को उसी के आधार पर पैसे का भुगतान करती है।
- मुंबई पुलिस अब इस मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रमोटर की जांच करेगी। उनके मालिक को समन भेजेगी।
- पुलिस के अनुसार रिपब्लिक टीवी के कई बड़े अधिकारी इस फर्जीवाड़े में शामिल है।
- मुंबई पुलिस यह पता लगा रही है कि रिपब्लिक टीवी ने फर्जी TRP से कीतने पैसे कमाए।
- BARC ने भारत के विभिन्न हिस्सों में लगभग 30000 बैरोमीटर लगाए हैं जो विभिन्न कार्यक्रमों की निगरानी करते हैं, फिर मैट्रिक्स के आधार पर BARC विभिन्न टीवी चैनलों को रेटिंग देते हैं। इन रेटिंग्स के आधार पर विज्ञापन देने वाले कंपनी को भुगतान करते हैं।
- क्राइम ब्रांच ने मलाड के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक पूछताछ में उसने खुलासा किया कि वह एक कंपनी के लिए काम कर रहे थे जो ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) का एक हिस्सा है। गिरफ्तार आरोपियों में से एक और कुछ अन्य आरोपी व्यक्ति हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी थे और उन्होंने गोपनीय डेटा का दुरुपयोग किया है।
- इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी व्यक्तियों को अदालत में पेश किया गया था जहां उन्हें 9 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस द्वारा अब इस फर्जीवाड़े की जड़ों का पता लगाने के सभी प्रयास कर रही है।