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रेहाना फातिमा की मुश्किलें बढ़ीं! मांस के लिए बार-बार 'गोमाता' शब्द का उपयोग करने पर कोर्ट ने लगाए प्रतिबंध

 फातिमा उस समय भी सुर्खियों में आयी थीं जब उच्चतम न्यायालय द्वारा सितंबर 2018 में सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दिए जाने के बाद उन्होंने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी लेकिन हिंदू कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं के विरोध के कारण वह ऐसा नहीं कर पाईं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 25, 2020 14:02 IST
रेहाना फातिमा की मुश्किलें बढ़ीं! मांस के बार-बार 'गोमाता' शब्द का उपयोग करने पर कोर्ट ने लगाए प्रति- India TV Hindi
Image Source : FACEBOOK.COM/REHANAFATHIMA.PATHOOS रेहाना फातिमा की मुश्किलें बढ़ीं! मांस के बार-बार 'गोमाता' शब्द का उपयोग करने पर कोर्ट ने लगाए प्रतिबंध

केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फ़ातिमा को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने रेहाना द्वारा एक कुकरी शो के दौरान मांस के विकल्प के रूप में 'गोमाता' शब्द के उपयोग के लिए उनके खिलाफ दायर एक मामले के संबंध में किसी भी माध्यम से उनकी राय और टिप्पणियों को प्रसारित करने से प्रतिबंधित करने के आदेश पारित किए। रेहाना फ़ातिमा कई बार सोशल मीडिया पर विवादों को जन्म दे चुकी हैं। उन्होंने कुकरी शो में कई बार मांस के लिए 'गोमाता' शब्द का इस्तेमाल किया। ये शो इस साल फरवीर में अपडोड किया गया था, जिसमें शीर्षक 'गोमांसम उलाथीयथ' दिया गया था। 

जस्टिस सुनील थॉमस ने रेहाना फातिमा को साल 2018 के मामले में दी गई बेल को वापस लेने के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई की। ये याचिका इस कुकरी शो से  जुडी ही थी, जिसमें रेहाना द्वारा बार-बार विवादित शब्द का इस्तेमाल किया गया, जिससे लाखों हिंदुओं की भावना आहत हो सकती है। 

कोर्ट द्वारा ऑर्डर में कहा गया, "इस न्यायालय के समक्ष यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि 'गोमाता' का उपयोग भारत में कहीं भी मांस के पर्याय के रूप में किया जाता है।  प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि शब्द 'गोमाता उलारथ' के चयन गलत भावना से औऱ किसी उद्देश्य के तहत किया गया है। सार्वजनिक रूप से देखने के लिए इस तरह के अत्यधिक आपत्तिजनक वीडियो अपलोड करने से भक्तों के मौलिक अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।"

हालांकि ऐसे गंभीर मामले में किए गए उल्लंघन को लेकर रेहाना की बेल रद्द की जानी चाहिए लेकिन न्यायाधीश ने कहा कि वह "उसे एक आखिरी अवसर देने के इच्छुक थे" इस विश्वास पर कि वह दूसरों के अधिकारों को पहचानना शुरू कर देगा। अदालत ने कहा कि साल 2018 2018 के मुकदमे की सुनवाई खत्म होने तक, फातिमा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से किसी भी विजुअल या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से, किसी भी सामग्री या उसकी किसी भी टिप्पणी को प्रकाशित, प्रसारित, साझा, अपलोड या प्रसारित नहीं करेगी। 

 फातिमा उस समय भी सुर्खियों में आयी थीं जब उच्चतम न्यायालय द्वारा सितंबर 2018 में सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दिए जाने के बाद उन्होंने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी लेकिन हिंदू कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं के विरोध के कारण वह ऐसा नहीं कर पाईं। इसके अलावा इस साल जून में रेहाना फातिमा के खिलाफ  POCSO Act, 2012, IT Act, 2000 and the JJ Act, 2015 की विभन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। तब रेहाना फातिमा ने अपने नाबालिग बच्चों से अपने अर्द्धनग्न शरीर पर पेंटिंग करवाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया था।

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