शिकागो में शून्य पर ही क्यों बोले स्वामी विवेकानंद : बेहद कम उम्र में अपने ज्ञान का लोहा मनवाने वाले और देश के युवाओं को आजाद भारत का सपना दिखाने वाले स्वामी विवेकानंद की आज जयंती है। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाले विवेकानंद का जिक्र जब कभी भी आएगा उनके अमेरिका में दिए गए यादगार भाषण की चर्चा जरूर होगी। यह एक ऐसा भाषण था जिसने भारत की अतुल्य विरासत और ज्ञान का डंका बजा दिया था। अधिकांश लोग जानते हैं कि स्वामी जी ने यहां पर शून्य पर भाषण दिया था, लेकिन बेहद कम लोग ही ऐसे हैं जिन्हें यह मालूम है कि उन्होंने शून्य पर ही क्यों भाषण दिया। तो जानिए शिकागो में शून्य पर क्यों बोले थे स्वामी जी।
विवेकांनद के कुछ विचार :
“ जीतना बड़ा संघर्ष होगा,जीत उतनी ही शानदार होगी “
“एक समय में एक काम करो,और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब भूल जाओ। “
“ जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।“
विवेकानंद शून्य पर ही क्यों बोले: : यह एक दिलचस्प कहानी है। विवेकानंद साल 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने गए थे। जब वो वहां पहुंचे तो आयोजकों ने उनके नाम के आगे शून्य लिख दिया था। जानकारी के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कुछ लोग उन्हें परेशान करना चाहते थे। जानकारी के मुताबिक विवेकानंद जब भाषण देने के लिए खड़े हुए तब उनके सामने दो पेड़ों के बीच में एक सफेद कपड़ा बंधा हुआ पाया जिसके बीच में एक ब्लैक डॉट था। स्वामी विवेकानंद पूरी बात को अच्छे से भांप चुके थे। इसलिए उन्होंने यहां पर अपने भाषण की शुरूआत शून्य से ही की।
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