मुंबई: शिवसेना ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी से पूछा कि बड़े उद्योगपतियों द्वारा घोटाला कर देश से भागने के मामले में मौजूदा वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 'आरबीआई गवर्नर और बैंकों के प्रमुखों' के खिलाफ क्या कार्रवाई की। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' और 'दोपहर का सामना' के संपादकीय में कहा, "घोटाले का ऋण देने के लिए बैंक के कितने चेयरमैन को जेल भेजा गया? यहां तक कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के निदेशक हैं.. इसमें नोटबंदी के बाद केवल पांच दिनों में ही 745.59 करोड़ रुपये के प्रतिबंधित नोट जमा किए गए।"
पार्टी ने कहा कि गुजरात के कैबिनेट मंत्री जयेश वी. राडाडिया राजकोट डीसीबी के चेयरमैन हैं, इस बैंक ने भी देश में प्रतिबंधित नोट संग्रह करने में दूसरा स्थान हासिल किया। यहां 693.19 करोड़ रुपये के प्रतिबंधित नोट जमा किए गए। शिवसेना ने कहा, "कैसे इतनी बड़ी मात्रा में केवल एक एडीसीबी बैंक में पैसा जमा कराया जा सकता है? यह एक गंभीर समस्या है और इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए।" गोयल पर इन मुद्दों को गंभीरता से नहीं देखने का आरोप लगाते हुए, भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा कि सहकारी बैंकों में भेदभाव होता है और देश में विभिन्न सहकारी बैंकों के साथ अलग-अलग नियम लागू किए जाते हैं।
शिवसेना ने कहा, "महाराष्ट्र के डीसीसीबी को पुराने नोटों को बदलने या स्वीकार करने से रोका गया, बाद में हालांकि इस निर्णय को वापस ले लिया गया, लेकिन इससे बैंकों की आर्थिक हालत काफी खस्ता हो गई।" संपादकीय के अनुसार, "देश अभी भी नोटबंदी के प्रभाव से जूझ रहा है..रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर इसके सबसे बड़े दोषी हैं और इसके लिए उन्हें सजा मिलनी चाहिए।" शिवसेना ने कहा, "देश को बताया गया था कि नोटबंदी के बाद जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो जाएगा। लेकिन वास्तविकता में, प्रधानमंत्री द्वारा किए गए इस घोषणा के एक दिन बाद ही राज्य में 2000 रुपये के नए नोटों के कई बंडल मिले थे।"