पुरी: ओडिशा में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच भगवान जगन्नाथ की मशहूर रथ यात्रा पारंपरिक श्रद्धा, धार्मिक उल्लास , उत्साह और सौहार्द के साथ शुरू हुई। बारिश में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की नौ दिवसीय यात्रा में शामिल हुए जो गुंडिचा मंदिर तक जाएगी और फिर वापस इसी प्रसिद्ध मंदिर तक लौटेगी। वार्षिक रथ यात्रा के दौरान 12 वीं सदी की मुख्य प्रतिमा की एक झलक पाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लाखों लोग यहां एकत्रित हुए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और अन्य हस्तियों ने भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा पर लोगों को शुभकामनाएं दीं। मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘रथ यात्रा के शुभ अवसर पर शुभकामनाएं। भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से हमारा देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़े। हर भारतीय खुश और समृद्ध बने।’’
28 जून को ‘‘स्नान पूर्णिमा’’ के दिन से देवी-देवता मंदिर के अंदर दर्शन बंद थे और आज उनके दर्शनों के कारण श्रद्धालुओं में काफी उत्साह नजर आ रहा था। ‘‘स्नान पूर्णिमा’’ पर वृहद् स्नान के बाद वे ‘‘अनसारा पिंडी’’ में रहे जिसके बाद शुक्रवार को देवी-देवताओं का ‘‘ नबा जोबन दर्शन ’’ किया गया। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने श्रद्धालुओं को रथ पर चढ़ने और उसे छूने से मना किया है।
एसजेटीए के मुख्य प्रशासक पी. के. महापात्र ने कहा कि अगर कोई रथ पर चढ़ता है और देवी-देवताओं को छूता है तो इसे अपराध माना जाएगा। लाखों लोगों के पवित्र शहर में आगमन को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। सुरक्षा बलों के 140 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 कर्मी) और एक हजार अधिकारियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा वायु और समुद्र तट पर निगरानी बढ़ा दी गई है। पुलिस महानिरीक्षक आर पी शर्मा ने बताया कि त्वरित कार्य बल, ओडिशा त्वरित कार्य बल और आतंकवाद निरोधक दस्ता की कुछ इकाइयों को भी तैनात किया गया है ताकि रथ यात्रा का सुचारू संचालन कराया जा सके।
तीन भव्य और रंग-बिरंगे रथ को ‘‘बड़ा डंडा’’ से खींचने के अवसर पर श्रद्धालु इस तटीय शहर में इकट्ठा हुए। मुख्य देवता-भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और उनकी बहन देवी सुभद्रा को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आने से पहले मंगला आरती और मैलाम जैसी कई विशेष पूजा - अर्चना की गई। करीब तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक होने वाली नौ दिवसीय वार्षिक यात्रा के लिए लकड़ी के भव्य रथ को लाल, काला, हरा और पीले कपड़े के कई स्तर में लपेटा गया था।
भगवान जगन्नाथ का रथ ‘‘नंदीघोष’’ 45 फुट ऊंचा होता जिसमें लकड़ी के 16 बड़े पहिए होते हैं जबकि बलभद्र का रथ ‘‘तालध्वज’’ 44 फुट ऊंचा होता है जिसमें 14 पहिये होते हैं। सुभद्रा का 12 पहियों वाला रथ ‘‘दर्पदलन’’ 43 फुट ऊंचा होता है। पुरी गोवर्द्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने शिष्यों के साथ रथ पर सवार देवी-देवताओं के दर्शन किए।