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चंद्रग्रहण 2018: क्या है ब्लू मून, सुपर मून और ब्लड मून का राज़, देखने से गर्भवती महिलाओं को होती है हानि?

आज होने वाला चंद्रग्रहण क़रीब साढ़े 3 घंटे तक रहेगा। इसकी शुरुआत शाम 5 बजकर 18 मिनट पर होगी। हालांकि मुख्य चन्द्रग्रहण सूर्यास्त के बाद क़रीब 6 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और 8 बजकर 41 मिनट तक पूर्ण चंद्रग्रहण ख़त्म हो जाएगा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 31, 2018 15:10 IST
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चंद्रग्रहण पर तीन चांद का तिलिस्म, क्या है ब्लू मून, सुपर मून और ब्लड मून का राज़

चंद्रग्रहण 2018: आज साल 2018 का पहला Lunar Eclipse (Chandra grahan 2018) है। हर किसी के मन में सवाल है कि ये चंद्रग्रहण कब दिखेगा और कहां-कहां दिखेगा लेकिन उससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये ब्लड मून (Blood Moon), सुपर मून (Super Moon) और ब्लू मून (Blue Moon) का रहस्य क्या है। आकाश में उस अद्भुत नजारे को बस कुछ घंटे रह गए हैं जब चांद तो एक होगा लेकिन नाम होंगे तीन अलग-अलग - सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून। ये चांद हर रोज़ से अलग होगा। ये वो वक़्त होगा जब 35 साल के बाद चांद की सुंदरता अपने चरम पर होगी। हालांकि कोई इसे खूबूसरत बता रहा है तो कोई खतरनाक। आखिर क्या है सबसे अलग चांद का राज़? कब दिखेगा ये चांद और कहां नज़र आएगा?

क्या है सुपर मून (What is Super Moon)?

चंद्रमा जब धरती के सबसे नज़दीक होता है तो उसका आकार सामान्य से अधिक बड़ा दिखता है और अधिक चमकदार भी तब मून सुपर मून कहलाता है।

क्या है ब्लू मून (What is Blue Moon)?
ब्लू मून तब होता है जब पूर्णिमा एक महीने में दो बार आती है और चांद पूरा निकलता है। दूसरी बार पूर्णिमा के चांद को ब्लू मून कहा जाता है। इसी महीने 2 जनवरी को पूरा चांद निकला था और आज भी ऐसा ही होगा। हालांकि आज चांद के नीले होने के दावे भी किए जा रहे हैं लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक़ ब्लू मून का चांद के रंग से कोई वास्ता नहीं है।

क्या है ब्लड मून (What is Blood Moon)?
चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी एवं चंद्रमा ऐसी स्थिति में होते हैं कि कुछ समय के लिए पूरा चांद अंतरिक्ष धरती की छाया से गुजरता है। लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरते वक्त सूर्य की लालिमा वायुमंडल में बिखर जाती है और चंद्रमा की सतह पर पड़ती है। इसे ब्लड मून भी कहा जाता है। ये तीनों एक ही रात को पड़ेगा। जिसे सुपर ब्लू ब्लड मून भी कहा जा रहा है।

कब होता है 'ब्लड मून'?

  • जब सूरज, धरती और चंद्रमा सीधी रेखा में आ जाएं
  • धरती से पूरा चांद छिपने पर पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है
  • सूरज की कुछ किरणें चंद्रमा पर पड़ती हैं
  • धरती के वायुमंडल से होकर गुज़रती हैं सूर्य की किरणें
  • वायुमंडल से गुज़रने पर सूरज की किरणें बिखर जाती है
  • सूर्य की किरणें पड़ने पर चांद लाल रंग का दिखने लगता है

ये चंद्रग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। इसके अलावा दुनिया के कई देशों में भी लाखों-करोड़ों लोग इस अनोखे चांद का दीदार करेंगे। ये स्थिति 35 साल बाद बन रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक़ चंद्रग्रहण से किसी को भी डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है। आज होने वाला चंद्रग्रहण क़रीब साढ़े 3 घंटे तक रहेगा। इसकी शुरुआत शाम 5 बजकर 18 मिनट पर होगी। हालांकि मुख्य चन्द्रग्रहण सूर्यास्त के बाद क़रीब 6 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और 8 बजकर 41 मिनट तक पूर्ण चंद्रग्रहण ख़त्म हो जाएगा।

2018 का पहला चंद्रग्रहण

  • शाम 5 बजकर 18 मिनट से होगी चंद्रगहण की शुरुआत
  • मुख्य चंद्रग्रहण सूर्यास्त के बाद 6 बजकर 20 मिनट से शुरू
  • 8 बजकर 41 मिनट पर ख़त्म हो जाएगा पूर्ण चंद्रग्रहण
  • भारत के हर हिस्से में देखा जा सकेगा पूर्ण चंद्रग्रहण
  • इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया में भी दिखेगा चंद्रग्रहण
  • रूस, अमेरिका के कुछ इलाको में भी चंद्रग्रहण दिखेगा
  • 35 साल बाद 'ब्लू मून', 'सुपर मून', 'ब्लड मून' का संयोग
  • 30 दिसंबर 1982 को हुआ था 'ब्लू मून', 'सुपर मून', 'ब्लड मून'
  • भारत में अगला चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को देखा जा सकेगा
  • 27 जुलाई को 'ब्लू मून' और 'सुपर मून' नहीं दिखेगा

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्रग्रहण
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है  और इसी के साथ सूतक काल भी शुरू हो जाता है.। ज्योतिषों को मानना है कि इस दौरान भगवान की पूजा तक अशुभ मानी जाती है। यही वजह है कि देश के अलग अलग शहरों में चंद्रग्रहण के दौरान पूजा पाठ तक बंद करने का फैसला किया गया है।

काशी विश्वनाथ मंदिर में चंद्रग्रहण के दौरान दर्शन-पूजन बंद रहेगा। करीब 5 घंटे तक कई मंदिरों में पूजा पाठ नहीं की जाएगी। अयोध्या और मथुरा में भी कई जगह मंदिर पूरे दिन बंद रहेंगे। माना ये भी जाता है कि चंद्रग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि वैज्ञानिक इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनके मुताबिक़ इस ऐतिहासिक पल का हर किसी को गवाह होना चाहिए।

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