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आस्था के पुल पर 'साइंस' की मुहर, मानव निर्मित है रामसेतु, अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा

अमेरिकन भू-वैज्ञानिकों के हवाले से एनसिएंट लैंड ब्रिज नाम के एक प्रोमो में ऐसा दावा किया गया है कि भारत में रामेश्वरम के नजदीक पामबन द्वीप से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक लंबी बनी पत्थरों की यह श्रृंखला मानव निर्मित है।

Written by: India TV News Desk
Updated on: December 13, 2017 12:35 IST
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नई दिल्ली: करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक राम सेतु पर अमेरिकी साइंस चैनल ने एक बड़ा खुलासा किया है। साइंस चैनल का दावा है कि राम सेतु मानव निर्मित है यानी कि इसका निर्माण इंसानों ने किया है। अबतक ये माना जाता था कि रामसेतु प्राकृतिक है लेकिन तमाम कयासों पर इस साइंस चैनल ने विराम लगा दिया है। खास बात ये है कि इस साइंस चैनल ने जो समय रामसेतु के निर्माण का बताया है करीब-करीब वही समय हिंदू मायथोलॉजी से भगवान राम का बताया जाता है।

रामसेतु के अस्तित्व को लेकर अक्सर बहस होती रहती है। हिंदूवादी संगठन जहां दावा करते हैं कि ये वही रामसेतु है जिसका जिक्र रामायण और रामचरितमानस में है तो वहीं एक पक्ष ऐसा भी है जो इसे केवल एक मिथ या कल्पना करार देता है लेकिन लगता है कि अब इस बहस पर जल्दी ही फुल स्टॉप लग जाएगी। अमेरिकी साइंस चैनल ने तथ्यों के साथ दावा किया है कि रामसेतु पूरी तरह कोरी कल्पना नहीं है। चैनल को अपने रिसर्च में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि रामसेतु आज से हजारों साल पुराना है और इसमें लगा पत्थर सात हजार साल पुराने हैं।

अमेरिकन भू-वैज्ञानिकों के हवाले से एनसिएंट लैंड ब्रिज नाम के एक प्रोमो में ऐसा दावा किया गया है कि भारत में रामेश्वरम के नजदीक पामबन द्वीप से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक लंबी बनी पत्थरों की यह श्रृंखला मानव निर्मित है। साइंस चैनल के मुताबिक...

#भू-वैज्ञानिकों ने नासा की तरफ से ली गई तस्वीर को प्राकृतिक बताया है

#वैज्ञानिकों ने विश्लेषण में पाया कि 30 मील लंबी राम सेतु मानव निर्मित है
#भू-वैज्ञानिकों का ये भी दावा है कि जिस सैंड पर यह पत्थर रखा हुआ है ये कहीं दूर जगह से यहां पर लाया गया है
#वैज्ञानिकों के मुताबिक सैंड के निचले हिस्से का पत्थर 7 हजार साल पुराना है
#जबकि सैंड के ऊपरी हिस्से का पत्थर महज 4 हजार साल पुराना है

अमेरिकी भूविज्ञानिकों का दावा है कि रामसेतु पर पाए जाने वाले पत्थर बिल्कुल अलग और बेहद प्राचीन हैं> चैनल का दावा है कि रामसेतु का ढांचा प्राकृतिक नहीं है, बल्कि इंसानों ने बनाया है। चैनल के मुताबिक, कई इतिहासकार मानते हैं कि इसे करीब 5000 साल पहले बनाया गया होगा और अगर ऐसा है, तो उस समय ऐसा कर पाना सामान्य मनुष्य के लिहाज से बहुत बड़ी बात है। कुछ जानकार भी रामसेतु को पांच हजार साल पुराना मानते आए हैं जिस दौरान रामायण में इसे बनाने की बातें कही गई है। वाल्मिकी रामायण और राम चरित मानस में भी इसका जिक्र किया गया है।

रामसेतु पर अमेरिकी साइंस चैनल के दावे के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी इसे रीट्विट किया। स्वामी ने कहा है कि साइंस चैनल का दावा हिदुओं की मान्यता की पुष्टि करता है।

दरअसल विदेश ही नहीं देश में भी रामसेतु को लेकर राजनीतिक बवाल मचा है। साल 2007 में रामसेतु के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे से एक असमंजस के हालात पैदा कर दिए थे। 2007 में आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने अपने हलफनामे में रामायण के पौराणिक चरित्रों के अस्तित्व को ही नकार दिया था। यही वजह है कि  कुछ राजनीतिक दल, पर्यावरणविद और कुछ हिंदू धार्मिक समूहों ने इस हलफनामे का खुलकर विरोध किया था।

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