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BLOG: जय-जय श्री राम, बनता अपना काम

राम सिर्फ एक नाम नहीं हैं ..राम एकता और अखंडता के प्रतीक हैं...तो फिर क्यों कुछ लोगों ने राम को राजनीति का साधन बनाया ?

Written by: Surbhi Sharma
Updated on: August 01, 2020 22:30 IST
BLOG: जय-जय श्री राम, बनता अपना काम- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV BLOG: जय-जय श्री राम, बनता अपना काम

“जय श्री राम” कितने सरल और भाव से भरपूर है यह शब्द और इस समय श्री राम की ये गूंज इसलिए भी... क्योंकि अब अपने स्थान पर विराजमान हैं श्री राम... भगवान श्री राम का भव्य मन्दिर उनके जन्म स्थान पर अयोध्या में जल्द ही बन जायेगा ।

अब एक सवाल – क्या मंदिर बन जाने के साथ ही श्री राम के प्रति हमारे विचार, सोच, उनके मार्ग पर चलने की आकांक्षा पूरी हो सकेगी ???

आज के संदर्भ में राजनीतिक दल खुद चाहे अपने को न बदलें पर लोगों से यही चाहते हैं कि वह उनके मुताबिक बदल जाए....नतीजा....

“जय श्री राम” का उद्धघोष– ललकार के रूप में हुआ उपयोग।

कुछ लोगों के विचार इस कदर हावी हुए कि प्रभु श्री राम का नाम अब शक्तिशाली हिन्दू होने का प्रतीक बन गया ।

देशभक्ति और धर्म के नाम पर क्यों बनाए “राजनीतिक राम”?

जिस तरीके से...जिन शब्दों के साथ भगवान राम का नाम लिया, जिन गतिविधियों में श्री राम का इस्तेमाल किया...क्या वाकई इन सभी ने भगवान राम के आदर्शों का पालन किया ???

नैतिकता के नाम पर कही गयी बातों के इस प्रकरण में क्यों उन महान आदर्शों को ठेस पहुंची जो विचारों में बंट गई ???

कुछ समय पहले अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा को कहते हुए सुना – ‘हमने श्री राम के चरणों को तो पकड़ा, उन्हें पूजा, पर उनके आचरण को धारण करने में चूक हो जाती है हमसे।'

राम सिर्फ एक नाम नहीं हैं ..राम एकता और अखंडता के प्रतीक हैं...तो फिर क्यों कुछ लोगों ने राम को राजनीति का साधन बनाया ???

समाज में मर्यादा, आदर्श, संयम का नाम है राम

असीम ताकत अहंकार को जन्म देती है, लेकिन अपार शक्ति के बावजूद राम संयमित हैं...

वे सामाजिक हैं, लोकतांत्रिक हैं, वे मानवीय करुणा हैं, वे मानते हैं – परहित सरिस धर्म नहीं भाई

स्वतंत्रता सेनानी, सम्मानित राजनीतिज्ञ डॉक्टर राम मनोहर लोहिया कहते हैं – 'जब भी महात्मा गांधी ने किसी का नाम लिया तो राम ही क्यों, न शिव, न कृष्ण ....दरअसल राम देश की एकता के प्रतीक हैं, महात्मा गांधी ने राम के ज़रिए हिन्दुस्तान के सामने मर्यादित तस्वीर रखी।'

राम अगम हैं, संसार के कण-कण में विराजते हैं ।

राम सगुण भी हैं निगुण भी ...तभी कबीर कहते हैं 

“निगुण राम जपहु रे भाई"

राम परमात्मा होकर भी मानव जाति को मानवता का संदेश देते हैं।

उनका पवित्र चरित्र लोकतंत्र का प्रहरी, उत्प्रेरक और निर्माता भी है इसलिए तो भगवान राम के आदर्शों का जनमानस पर इतना गहरा प्रभाव है और युगों-युगों तक रहेगा ।

“निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा” 

जो इंसान निर्मल स्वभाव का होता है, वही मुझे पाता है, मुझे कपट और छल छिद्र नहीं सुहाते ।

भगवान राम न तो आसमान छूते मंदिर से खुश होंगे न बेमतलब श्री राम के नारों से, उनके आदर्शों का पालन अनुसरण करने से प्रसन्न होंगे श्री राम ।

"जय श्री राम''

 सुरभि शर्मा- एंकर, इंडिया टीवी (इस लेख में सुरभि ने अपने निजी विचारों को व्यक्त किया है)

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