सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 28 हजार दुर्गा पूजा आयोजन समितियों में से प्रत्येक को 10 हजार रुपये का अनुदान देने की घोषणा कर सबको आश्चर्य में डाल दिया। ममता के इस फैसले से नकदी संकट का सामना कर रहे राज्य सरकार पर 28 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
वहीं अगर पिछले साल क्या हुआ था इससे अगर तुलना करें तो पिछले साल राज्य सरकार ने मुहर्रम के जुलूस के चक्कर में दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद रामनवमी के जुलूस को रोका गया फिर हनुमान जयंती मनाने से लोगों को रोका गया। नतीजा ये हुआ कि पंचायत चुनावों में बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं से बढ़िया प्रदर्शन किया।
ममता बनर्जी का मुसलमानों के प्रति पूर्वाग्रह को लेकर पिछले दो साल से ज्यादा समय से पश्चिम बंगाल के हिंदू मतदाताओं में कुछ असंतोष रहा। वर्ष 2011 में सत्ता पाने के तुरंत बाद ममता बनर्जी ने मस्जिदों के इमामों को मासिक भत्ता देने का ऐलान किया था।
अब पश्चिम बंगाल में हिंदू मतदाताओं की प्राथमिकताओं में बदलाव नजर आ रहा है। इस बदलाव के मद्देनजर ममता बनर्जी अपने एक बड़े समर्थन को वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। दुर्गा पूजा आयोजकों के लिए अनुदान का ऐलान ममता की इन्हीं कोशिशों का एक उदाहरण है। (रजत शर्मा)