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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को 44 पुलों को राष्ट्र को समर्पित करेंगे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को बॉर्डर रोड्स आर्गेनाईजेशन (BRO) द्वारा 7 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बनाए गए 44 पुलों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

Reported by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : October 12, 2020 16:57 IST
Rajnath Singh to dedicate 44 bridges made by BRO to nation on Monday
Image Source : PTI Rajnath Singh to dedicate 44 bridges made by BRO to nation on Monday

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को बॉर्डर रोड्स आर्गेनाईजेशन (BRO) द्वारा 7 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बनाए गए 44 पुलों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इसके अलावा इस कार्यक्रम में नेचिपु सुरंग की आधार शिला भी रखी जाएगी जो तवांग के लिए सड़क को जोडेगी। इसके अलावा भारत चीन सीमा के पास सड़कों का निर्माण बहुत तेजी से कर रहा है। इसी संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर निर्मित ‘‘अटल सुरंग’’ का उद्घाटन किया था।

अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है जो मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ेगी। इससे पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग छह महीने तक संपर्क से कटी रहती थी। 

सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह सुरंग हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विशिष्टताओं के साथ बनाई गई है। इस सुरंग से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी चार से पांच घंटे कम हो जाएगा। अटल सुरंग को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्‍व के लिए डिजाइन किया गया है। 

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था, जिनका निधन पिछले वर्ष हो गया।

इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक नयी रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी) को भी जारी किया था जिसमें भारत को सैन्य प्लेटफॉर्म का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने, रक्षा उपकरणों की खरीद में लगने वाले समय को कम करने तथा तीनों सेनाओं द्वारा एक सरल प्रणाली के तहत पूंजीगत बजट के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की खरीद की अनुमति देने जैसी विशेषताएं है। नयी नीति में खरीद प्रस्तावों की मंजूरी में विलंब को कम करने के लिहाज से 500 करोड़ रुपये तक के सभी मामलों में ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ (एओएन) को एक ही स्तर पर सहमति देने का भी प्रावधान है। डीएपी में रक्षा उपकरणों को शामिल करने से पहले उनके परीक्षण में सुधार के कदमों का भी उल्लेख है। 

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