Friday, November 22, 2024
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कृषि बिल पर विपक्ष के व्यवहार की सरकार ने की आलोचना, कहा- उपसभापति ने आसन पर चढ़ना, रुल बुक फाड़ना बेहद शर्मनाक

केंद्र सरकार के 6 बड़े मंत्री कृषि बिल को लेकर विपक्ष के व्यवहार को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इसमें राजनाथ सिंह ने कहा कि आज राज्यसभा में जो हुआ वह शर्मनाक था। उपसभापति ने आसन पर चढ़ना, रुल बुक फाड़ना बेहद शर्मनाक कार्य जो आज राज्यसभा में हुआ हम उसकी निन्दा करते है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 20, 2020 20:07 IST
Rajnath Singh Piyush Goyal Prakash Javdekar press conference- India TV Hindi
Rajnath Singh Piyush Goyal Prakash Javdekar press conference

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के 6 बड़े मंत्रियों ने कृषि बिल को लेकर विपक्ष के व्यवहार को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इसमें राजनाथ सिंह ने कहा कि आज राज्यसभा में जो हुआ वह शर्मनाक था। उपसभापति ने आसन पर चढ़ना, रुल बुक फाड़ना बेहद शर्मनाक कार्य जो आज राज्यसभा में हुआ हम उसकी निन्दा करते है। संसदीय इतिहास में ऐसी घटना दूर्भाग्यपूर्ण है।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, प्रहलाद जोशी, पीयूष गोयल, थावर चंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हुए। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार एमएसपी खत्म नही करने जा रही है। किसानों के मामले में गलतफहमी फैलाई जा रही है। हमारा लक्ष्य किसानों की आय दोगुना करने का है। उन्होनें कहा कि किसानों के बीच झठे तथ्यों के आधार पर गलतफहमी फैलाई जा रही है। 

दरअसल लोकसभा में पारित होने के बाद रविवार को राज्यसभा में पेश किए गए कृषि सुधार विधेयकों पर जमकर हंगामा हुआ। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब और वोटिंग के समय तो बात इतनी आगे बढ़ गई कि सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन सहित विपक्ष के कई नेताओं ने बिल की कॉपी फाड़ी, उपसभापति पर रूल बुक फेंका तो आसन के माइक को भी तोड़ डाला। कृषि मंत्री के बयान के दौरान TMC आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसदों ने बेल में पहुंचकर हंगामा किया और बिल के विरोध में जमकर नारेबाजी की।

राज्यसभा में विपक्ष के लगातार विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एंव कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पारित किए गए। इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार का दावा है कि नए नियमों से देश के कृषि क्षेत्र की काया पलट जाएगी, किसानों को लाभ होगा और देश का कृषि क्षेत्र तेजी से विकसित होगा। 

वहीं, विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इससे देश का कृषि क्षेत्र तबाह हो जाएगा, किसानों को नुकसान होगा और देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। बात अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य की की जाए तो सरकार साफ कह चुकी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त नहीं होगी बल्कि और मजबूत की जाएगी। 

सरकार की तरफ से अपने कार्यकाल में बढ़ाए गए समर्थन मूल्य और किसानों से फसल खरीद के बाद किए गए भुगतान के आंकड़े भी जारी किए गए हैं।सरकार की ओर से कहा गया है कि उनके कार्यकाल में किसानों से MSP पर ज्यादा मात्रा में उपज की खरीद हुई है और MSP में भी पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। 

सरकार ने जोर देकर कहा है कि नए कृषि विधेयक अगर कानून बने तो MSP की व्यवस्था को खत्म नहीं किया जाएगा बल्कि इसे और मजबूत किया जाएगा। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को ‘किसान हितैषी’ बताते हुए कहा कि किसानों की उपज की, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था के तहत खरीद हो रही है और यह आगे भी जारी रहेगी। 

वहीं, राज्यसभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने इन विधेयकों का पुरजोर विरोध किया। इन विधेयकों पर कई विपक्षी दलों का तर्क है कि यह विधेयक एमएसपी प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देंगे और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देंगे। 

चर्चा के दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल जैसे दलों ने विधेयक को संसद की प्रवर समिति को भेजने की मांग की थी। सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘‘किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी और इन विधेयकों के कारण इस व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’ 

तोमर ने कहा कि इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में एकांगी तरीके से विचार करने से किसानों का हित नहीं होगा और इसके लिये बहुत सारी पहल की गई हैं और आगे भी की जायेंगी। 

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