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स्वदेशी के जरिए अब सामरिक स्वतंत्रता भी हासिल करेगा भारत: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा आजाद हिंद फौज में 'रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट' का गठन किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि नेताजी मानते थे कि आजादी की लड़ाई आधी आबादी की भागीदारी के बिना संभव नहीं है।

Written by: Bhasha
Published on: November 17, 2021 21:41 IST
स्वदेशी के जरिए अब सामरिक स्वतंत्रता भी हासिल करेगा भारत: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह- India TV Hindi
Image Source : PTI स्वदेशी के जरिए अब सामरिक स्वतंत्रता भी हासिल करेगा भारत: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Highlights

  • राजनाथ सिंह ने झांसी में राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व को संबोधित किया
  • अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की जरूरत: सिंह
  • रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी: सिंह

झांसी (उत्तर प्रदेश): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि राजनीतिक आजादी हासिल करने के बाद अब भारत सामरिक स्वतंत्रता भी हासिल करेगा और इसके लिये स्वदेशी का रास्ता अपनाया जा रहा है। राजनाथ सिंह ने रानी लक्ष्मीबाई की धरती झांसी में आयोजित राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व को संबोधित करते हुए कहा, ''भारत ने जैसे राजनीतिक आजादी हासिल की है, वैसे ही सामरिक आजादी भी हासिल करेगा। आने वाले एक-डेढ़ दशक में भारत में ऐसी स्थितियां पैदा होंगी।'' उन्होंने कहा, ''हमारी सेना के लिए अब भी काफी हद तक जो हथियार दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं, आगामी एक-डेढ़ दशक में ऐसे हालात पैदा होंगे कि हमारे बहादुर जवान दूसरे देशों के हथियारों के बजाय भारत में बने हथियार इस्तेमाल करेंगे। हम सामरिक स्वतंत्रता हासिल करना चाहते हैं। इसीलिए हमने स्वदेशी का रास्ता अपनाया है।'' 

सेना को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डिफेंस कॉरिडोर का महत्व समझाते हुए उन्होंने साइबर हमले एवं अंतरिक्ष से होने वाले खतरे पर भी चिंता व्यक्त की और कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में हमें अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। ऐसी आधुनिक सेना तैयार करनी है जो इन सब चुनौतियों का सामना कर सके। इसके लिए रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है।’’ देसी कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने के संदर्भ में सिंह ने बताया कि इस बार एचएएल को 50,000 करोड़ का ऐतिहासिक ऑर्डर दिया गया है तथा पिछले सात साल में 38 हजार करोड़ रुपये कीमत के रक्षा उपकरण निर्यात किये गये हैं। 

रक्षा मंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा आजाद हिंद फौज में 'रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट' का गठन किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि नेताजी मानते थे कि आजादी की लड़ाई आधी आबादी की भागीदारी के बिना संभव नहीं है। दुर्भाग्य से आजादी के बाद महिलाओं को राष्ट्र रक्षा के काम में बहुत सक्रिय भागीदारी निभाने का मौका नहीं मिला। मगर हम अपने आप को तेजी से बदल रहे हैं। सिंह ने कहा, ''मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली है तब से हमारी हर सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।" 

उन्होंने कहा, "जब मैं देश का गृह मंत्री था तब मैंने सभी राज्यों को एक परामर्श जारी किया था कि सभी राज्यों को यह प्रयत्न करना चाहिए कि पुलिस में भी महिलाओं की भागीदारी कम से कम 33 प्रतिशत होनी चाहिए। उसके बाद से पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।'' उन्होंने कहा कि सेना में भी महिलाओं के लिए हर बंद दरवाजे अब खोले जा रहे हैं। अब तो पुणे में मौजूद भारत के सबसे प्रतिष्ठित सैन्य प्रशिक्षण संस्थान को भी महिलाओं के लिए खोल दिया गया है। 

उन्होंने कहा, ‘‘आपको जानकर अच्छा लगेगा कि पिछले दिनों एनडीए में दाखिले के लिए देश भर से दो लाख से अधिक लड़कियों ने प्रवेश परीक्षा दी। अब सेना में महिलाओं को स्थाई कमिशन देने की व्यवस्था भी बन गई है।’’ सिंह ने कहा, ''हम जो राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व मना रहे हैं, उसकी भावना इस देश में सदियों से मौजूद रही है। मैं याद कराना चाहता हूं कि वह राष्ट्र रक्षा का ही भाव था जिसने आचार्य चाणक्य को आक्रांताओं के खिलाफ लड़ने के लिए चंद्रगुप्त बनाने के लिए तैयार किया था। वह राष्ट्र रक्षा का ही भाव था जिसने महाराणा प्रताप को मुगलों की अधीनता कभी न स्वीकार करने की प्रेरणा दी थी और उसी राष्ट्र रक्षा के भाव ने छत्रपति शिवाजी को महाराष्ट्र के साथ-साथ समग्र राष्ट्र के बारे में चिंतनशील बनाया था।'' 

रक्षा मंत्री ने कहा कि झांसी का कण-कण महारानी लक्ष्मीबाई की यशोगाथा से जुड़ा हुआ है। लक्ष्मी बाई का जीवन बहुत बड़ा नहीं था। लेकिन अपने बलिदान और पराक्रम के बलबूते उन्होंने जीवन को बुलंदी तक पहुंचाया। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई का योगदान अतुलनीय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर कहा कि झांसी की धरती वीरांगनाओं की पहचान है। रानी लक्ष्मीबाई से जुड़ी वे पंक्तियां आज भी जोश भर देती हैं कि 'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।' 

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