दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को बताया कि यदि मौजूदा रुझान जारी रहता है, तो दिल्ली में COVID-19 के मामलों की संख्या जुलाई के अंत तक 5.5 लाख तक पहुंच सकती है। उन्होंने बताया कि तब अस्पतालों में 80,000 बिस्तरों की जरूरत होगी। वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राजधानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज में पहुंच चुकी है लेकिन इस बारे में घोषणा करना केंद्र का काम है।
सवाल यह उठता है कि दिल्ली सरकार ऐसा क्यों कह रही है कि कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है, जबकि केंद्र और WHO ये मानने के लिए तैयार नहीं हैं? मुझे लगता है कि इसके पीछे सियासत है।
चूंकि दिल्ली में COVID के चलते हालात खराब होते जा रहे हैं, और कोई भी इसकी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। यही वजह है कि अपनी-अपनी जान छुड़ाने के लिए अडवांस में बयानबाजी की जा रही है। COVID संकट के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा। इस दौरान केंद्र ने जो भी निर्देश दिया, उन्होंने उसे माना। यहां तक कि जब केंद्र ने दिल्ली को कम पैकेज दिया तब भी उन्होंने अपनी आवाज नहीं उठाई।
केजरीवाल ने खुद कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को बोला है कि बीजेपी के स्थानीय नेताओं द्वारा की जा रही आलोचनाओं को नजरअंदाज कर दें। लेकिन जब उपराज्यपाल ने सोमवार को दिल्ली के अस्पतालों में बाहर के मरीजों के इलाज की इजाजत न देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, तो केजरीवाल परेशान दिखे। उन्हें समझ ही नहीं आया कि ऐसा क्यों हुआ। केजरीवाल और उनकी टीम को शक है कि एलजी ने यह फैसला बीजेपी के कहने पर लिया है। AAP के कुछ नेताओं ने ऑन रिकॉर्ड कहा कि राज्य के बीजेपी के नेता चाहते हैं कि दिल्ली सरकार कोरोना से निपटने में फेल हो जाए ताकि उनकी पार्टी को राजनीतिक लाभ मिले।
सवाल यह है कि क्या सिसोदिया के अनुमान के मुताबिक कोरोना वायरस का संक्रमण दिल्ली में तेजी से फैलेगा? यदि ऐसा है, तो क्या बाहरी लोगों को दिल्ली के अस्पतालों में इलाज की इजाजत दी जा सकती है? इसका जवाब एलजी को देना है। और यदि दिल्ली में कोरोना काबू में है तो फिर दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों से क्या कोई फर्क पड़ेगा? इस सवाल का जवाब केजरीवाल को देना है।
मैंने इस बारे में कई डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स से बात की। कोई भी दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि अगले 2 महीनों में दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले किस दर से बढ़ेंगे। किसी भी एक्सपर्ट ने ऐसा नहीं कहा कि जुलाई के अंत तक दिल्ली में COVID मामलों की संख्या 5.5 लाख हो जाएगी। कोई न तो इसके ‘पीक’ के बारे में दावा कर सकता है या फिर यह कि क्या दिल्ली ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज में प्रवेश कर लिया है या नहीं।
इसका कारण यह है कि COVID-19 एक नए प्रकार का वायरस है, जिसका कोई इतिहास नहीं है इसने अलग-अलग देशों और शहरों में अलग-अलग तरीके से व्यवहार किया है। यही वजह है कि भरोसे के साथ कोई भी दावा नहीं किया जा सकता। हालांकि इसके लिए तैयारियां करनी होंगी, क्षमता बढ़ाने के लिए स्टेडियमों को अस्पतालों में बदलना होगा। लेकिन यदि कम्युनिटी स्प्रेड की शुरुआत हो गई है तो तैयारियों में तेजी लानी चाहिए। कोई नहीं जानता कि मामले अचानक तेजी से कब बढ़ जाएंगे। इस संकट के खत्म होने तक सभी दलों को राजनीति पीछे छोड़नी होगी। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 09 जून 2020 का पूरा एपिसोड