बुधवार को जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त दो वार्ताकार शाहीन बाग गये, उसके कुछ घंटे पहले बीजेपी आईटी सेल की तरफ से एक वीडियो सामने आया जिसमें दिखाया गया कि कैसे मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारियों को यह सिखा रही थीं कि इन वार्ताकारों से क्या सवाल पूछने हैं। तीस्ता सीतलवाड़ की बातें सुनने के बाद और ये वीडियो देखने के बाद एक बात तो साफ है कि ये पूरा आंदोलन सहज रूप से तो नहीं चल रहा है, जैसा कि दावा किया जाता है। इस प्रदर्शन के पीछे कुछ ताकतें हैं, कुछ लोग हैं।
दोनों वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। इन दोनों ने प्रदर्शनकारियों की बातें सुनने से पहले धरना स्थल से मीडिया को बाहर रखा । इन दोनों ने अपनी बातें भी बताई और फिर से आने का वादा किया। कोर्ट ने उन्हें रविवार तक की समय सीमा दी है। महिला प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकारों को बताया किस तरह 66 दिन तक धरने पर बैठे रहते समय उनके साथ क्या सलूक हुआ और उन पर क्या-क्या आरोप लगाये गए ।
वार्ताकारों ने धरने पर बैठी महिलाओं को आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने विरोध करने के उनके लोकतांत्रिक अधिकार को ध्यान में रखा है, लेकिन ऐसे लोगों के भी अधिकार हैं जिन्हें इस सड़क से रोज़ आना-जाना पड़ता है। दुकानदारों को अपनी दुकानों को फिर से खोलना है, लोगों को अस्पताल और डॉक्टरों तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है और बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी हो रही है।
ये बात बिलकुल साफ है कि जो महिलाएं शाहीन बाग में धरने पर बैठी हैं वो इतनी नासमझ नहीं है कि उन्हें यह बात पता न हो कि इन वार्ताकारों को पास नागरिकता संशोधन कानून को हटाने और ऱाष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) को रुकवाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें केवल यह पता लगाने के लिए भेजा गया है कि शाहीन बाग की सड़क को ट्रैफिक के लिए फिर से खोला जा सकता है या नहीं।
इन प्रदर्शनकारियों को यह भी अच्छी तरह से पता है कि सीएए का भारतीय नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है और यह किसी भी तरीके से उनकी नागरिकता को प्रभावित करने वाला नहीं है। प्रदर्शनकारी इस बात को भी अच्छी तरह से जानते हैं कि एनआरसी को लेकर न तो कोई प्रक्रिया शुरू की गई है और न ही किसी स्तर पर इसकी चर्चा हुई है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर दो महीने से ज्यादा वक्त से ये महिलाएं धरने पर क्यों बैठी हैं? मुझे लगता है कि शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन को मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन के प्रतीक के रूप में पेश किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करनेवाली राजनीतिक ताकतें इस धरना को खत्म नहीं होने देना चाहती । ये लोग मुसलमानों को डराकर उनके दिल में खौफ पैदा कर रहे हैं और उन्हें भड़का रहे हैं। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 19 फरवरी 2020 का पूरा एपिसोड