कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा प्रवासी मजदूरों और ट्रक ड्राइवरों की निर्मम हत्याओं से ये स्पष्ट है कि अलगाववादी और सीमा पार बैठे उनके आका हताश हैं। जब आर्टिकल 370 हटाया गया तब आतंकियों को लगा था कि कश्मीर में इस फैसले का बहुत विरोध होगा। लोग सड़क पर उतर आएंगे। हालात खराब हो जाएंगे और वो इस मौके का फायदा उठाकर खून खराबा करेंगे लेकिन करीब 3 महीने हो गए, कश्मीर में अमन और शांति है। यहां लोगों पर एक भी गोली नहीं चलाई गई है। किसी आम कश्मीरी के खून का एक कतरा तक नहीं बहा।
घाटी में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। बच्चों के एग्जाम शुरु हो गए हैं। टूरिस्ट घाटी में लौटने लगे हैं इसलिए आतंकी घाटी में दहशत का माहौल बनाने के लिए कभी फायरिंग कर रहे हैं तो कभी बाहर से आए ट्रक ड्राइवरों की हत्या कर रहे हैं। कभी मजदूरों पर गोली चला रहे हैं।
आतंकवादियों की कोशिश है कि कश्मीर में खौफ का माहौल पैदा किया जाए। इसी बौखलाहट में वो लोगों को अपने घरों के अंदर रहने के लिए मजबूर कर रहे हैं। यहां टूरिस्ट न आएं, एग्जाम न हों, सेब न बिके, दुकानें न खुलें और लोग परेशान हों इसलिए बौखलाहट में आतंकवादियों ने पड़ोसी राज्यों से आए ट्रक ड्राइवरों को मारना शुरू कर दिया। वहीं यूरोपीय संघ के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हालात का जायज़ा लेने मंगलवार को घाटी का दौरा किया।
अगर यूरोपीय संघ के ये सांसद अपनी आंखों से कश्मीर के हालात देखते हैं, वहां के लोगों से खुलकर बात करके भारत के बारे में अच्छी राय बनाते हैं तो इससे देश का फायदा होगा। कश्मीर के हालात को लेकर पाकिस्तान जिस तरह का प्रोपगेंडा कर रहा है, दुनिया को उसका जवाब मिलेगा इसलिए आतंकवादी और अधिक बेचैन हो गए हैं।
कुलगाम में उन्होंने बंगाल से आए प्रवासी मजदूरों को एक लाइन में खड़ा कर मार डाला। मरने वाला सभी मुसलमान थे। आतंकवादियों ने यह जघन्य अपराध इसलिए किया ताकि दुनिया का ध्यान आकर्षित कर सकें। लेकिन कश्मीर के बारे में दुनिया का नजरिया अब पूरी तरह बदल गया है। अब दुनिया की बड़ी शक्तियां इस बात से सहमत हैं कि घाटी में आतंकवाद ही मुख्य समस्या है, क्योंकि आतंकवाद के कारण आम कश्मीरियों का जीन दूभर हो गया है।
अब तक जो संकेत मिले हैं उससे लगता है कि कश्मीर की आवाम नहीं चाहती कि दहशतगर्दों की कोई भी चाल कामयाब हो। कश्मीर के लोग भी वैसे ही हैं जैसे अपने देश के बाकी लोग। वो भी अपने मुल्क को प्यार करते हैं, अमन-चैन से रहना चाहते हैं। कश्मीर की तरक्की चाहते हैं इसलिए अब सारी ताकत इस बात पर लगनी चाहिए कि कश्मीर का विकास हो, लोगों को रोजगार मिले। अच्छे स्कूल हों, अच्छे हॉस्पिटल हों। बेहतर सड़कें हों, बेहतर ट्रांसपोर्ट हो और अच्छी बात ये है कि सरकार इसी दिशा में काम कर रही है ताकि घाटी ‘धरती पर स्वर्ग’ की हैसियत को फिर से हासिल कर सके।