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Rajat Sharma's Blog: UNGA में पाकिस्तान का नाम लेने से पीएम मोदी ने क्यों किया परहेज

पाकिस्तान का नाम न लेकर मोदी ने साफ संदेश दिया कि भारत के पास पाकिस्तान से निपटने की क्षमता है, और इसमें न तो तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जरूरत है और न ही अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसे लेकर गुहार लगाने की जरूरत है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : September 28, 2019 20:04 IST
Rajat Sharma's Blog: Why PM Modi refrained from naming Pakistan at UNGA
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: Why PM Modi refrained from naming Pakistan at UNGA

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया, और इसके एक घंटे बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने उसी मंच से अपनी बात रखी, तो एक जबर्दस्त विरोधाभास देखने को मिला। हिंदी में दिया गया प्रधानमंत्री मोदी का भाषण बेहद सटीक था, और इसने उनकी सरकार के दृष्टिकोण को सामने रखा। पीएम मोदी ने एक स्टेट्समैन, एक वर्ल्ड लीडर की तरह विश्व शांति और वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर बेहद स्पष्ट तरीके से अपनी बात रखी। उनके भाषण ने जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद सहित कई वैश्विक मुद्दों पर दुनिया का नेतृत्व करने के भारत के इरादे को रेखांकित किया।

मोदी ने भारत की हजार साल पुरानी सभ्यता के बारे में बात की और कहा कि भारत ने अपने लंबे इतिहास में कभी भी युद्ध की शुरुआत नहीं की, बल्कि इसने दुनिया को शांति और अहिंसा के दूत के रूप में बुद्ध दिया। पीएम ने वैश्विक ताकतों को आतंकवाद की बुराई के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील की। उन्होंने विश्व शक्तियों से जलवायु परिवर्तन से निपटने और गरीबी उन्मूलन में मिलकर काम करने की भी अपील की। ऐसा करते समय मोदी ने समाज कल्याण के क्षेत्र में अपनी सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित किया जिनमें स्वच्छ भारत, गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन, सभी के लिए डिजिटल पहचान, सभी के लिए इन्क्लुसिव बैंकिंग, सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन, सोलर अलायंस और फ्री मेडिकल केयर शामिल हैं।

नरेंद्र मोदी ने कश्मीर और पाकिस्तान का कहीं भी जिक्र न करके ठीक किया। कश्मीर स्वाभाविक तौर पर हमारा आंतरिक मामला है, या ज्यादा से ज्यादा यह एक द्विपक्षीय मुद्दा हो सकता है। पाकिस्तान का नाम न लेकर मोदी ने साफ संदेश दिया कि भारत के पास पाकिस्तान से निपटने की क्षमता है, और इसमें न तो तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जरूरत है और न ही अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसे लेकर गुहार लगाने की जरूरत है।

जब संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर भारतीय समुदाय के लोग मोदी के भाषण पर जश्न मना रहे थे, तभी बुझे-बुझे से नजर आ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने घिसेपिटे भाषण की शुरुआत की जो 48 मिनट तक चला। इमरान खान को 15 मिनट बोलना था, लेकिन उन्होंने इस्लामिक आतंकवाद, मोदी, कश्मीर और परमाणु युद्ध के बारे में बोलना शुरू किया तो फिर बोलते ही चले गए। इस तरह लगभग 33 मिनट तक रेड लाइट ब्लिंक करती रही लेकिन इमरान खान पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। 

इमरान के भाषण में कुछ भी नया नहीं था। लोग, खासतौर पर दुनिया के नेता, पहले ही उनके मुंह से बार-बार ये सारी बातें सुन चुके थे और उन्होंने कुछ भी अलग नहीं कहा। इमरान खान ने एक दिन पहले ही कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वह निराश हैं।

अपने लंबे भाषण के दौरान इमरान के हाव-भाव, बॉडी लैंग्वेज और शब्दों के चयन को देखकर साफ पता चल रहा था कि वह निराश थे। एक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान की छवि को निश्चित रूप से धक्का लगा है, क्योंकि उसके प्रधानमंत्री इस तरह से बोल रहे थे जैसे कि वह अपने मुल्क में किसी सार्वजनिक रैली को संबोधित कर रहे हों। यह एक अंतरराष्ट्रीय मंच था जहां विश्व नेताओं से उनके देश और दुनिया के बारे में अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करने की उम्मीद की जाती है, लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मोदी, आरएसएस और भारत के खिलाफ ही तीखे हमले करते रहे।

कल्पना कीजिए कि पाकिस्तान की जनता उस समय क्या सोच रही होगी, जब वह अपने प्रधानमंत्री को अपने मुल्क की तरक्की के लिए कोई नजरिया पेश करने में नाकाम होते हुए देख रही थी। मैं यह फिर से कहना चाहता हूं कि जब इमरान खान पाकिस्तान वापस लौटेंगे, तब उन्हें ढेर सारे सवालों के जवाब देने होंगे। (रजत शर्मा)

देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 27 सितंबर 2019 का पूरा एपिसोड

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