पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक के बाद मंगलवार रात न्यूयॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। हताश नजर आ रहे इमरान खान ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘मैं बगैर किसी लाग-लपेट के कहना चाहता हूं कि (कश्मीर मामले पर) अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मुझे थोड़ा निराश किया है।’
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यदि यही 8 लाख यूरोपीय या यहूदी या अमेरिकी नागरिकों की बात होती तो काफी अलग और त्वरित प्रतिक्रिया हुई होती। नरेंद्र मोदी पर पाबंदी हटाने के लिए किसी भी तरह का दबाव नहीं है।’
जाहिर है, इमरान खान और पाकिस्तानी सेना की कश्मीर पर कूटनीतिक लड़ाई में हार हुई है। पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 को हटाने के कदम का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की भरपूर कोशिश की, जब कि यह साफ तौर पर भारत का आंतरिक मामला था। मुझे लगता है कि इमरान खान न तो प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक जीत से परेशान हैं और न ही उन्हें कश्मीर की चिंता है। उन्हें इस बात की चिन्ता है कि वह अपने वतन लौट कर पाकिस्तानियों को क्या जवाब देंगे।
न्यूयॉर्क रवाना होने से पहले इमरान खान ने पाकिस्तान की जनता से वादा किया था कि वह कश्मीर मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत में एक तूफान पैदा करेंगे, लेकिन अब जब वह खाली हाथ लौटेंगे, तो उन्हें अपने देशवासियों के तमाम सवालों के जवाब देने होंगे।
कश्मीर मामले पर इमरान खान की कूटनीतिक ‘विफलता’ के बाद पाकिस्तान के विपक्षी दलों के नेता अपने प्रधानमंत्री पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं। वहीं पाकिस्तानी टीवी चैनल्स पर हो रही तीखे डिबेट्स को देखने के बाद लगता है कि इमरान से ढेर सारे सवाल पूछे जाएंगे। साफ है कि इमरान खान परेशान हैं और ऐसा लगता है कि वह एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं।
वक्त आ गया है कि इमरान खान और पाकिस्तानी फौज इस बात को समझ ले कि चीन को छोड़कर दुनिया की कोई भी बड़ी ताकत पाकिस्तान की मदद नहीं करना चाहती क्योंकि पाकिस्तान की पहचान इस्लामिक जिहादी आतंकवाद के एक गढ़ के रूप में रही है। हमारे विदेश मंत्री ने बेहद ही कम शब्दों में यह पूरी बात कह दी, जब उन्होंने कहा, ‘टेररिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती ।’ पाकिस्तानी सेना जितनी जल्दी इस बयान का सही मतलब समझ ले, उतना ही अच्छा होगा। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 25 सितंबर 2019 का पूरा एपिसोड